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सीना ताने खड़े हैं 'मौत के पहाड़'

बागपत : ये मौत के साक्षात पहाड़ हैं। बरसात का मौसम शुरू होते ही इनका रूप और भयानक हो गया है। मानसून क

By Edited By: Published: Tue, 05 Jul 2016 11:38 PM (IST)Updated: Tue, 05 Jul 2016 11:38 PM (IST)
सीना ताने खड़े हैं 'मौत के पहाड़'

बागपत : ये मौत के साक्षात पहाड़ हैं। बरसात का मौसम शुरू होते ही इनका रूप और भयानक हो गया है। मानसून की मूसलाधार बारिश ने राहत के साथ दुर्घटनाओं का भी अंदेशा बढ़ाया है। सड़कें जहां टूट या धंस रही हैं, वहीं जर्जर मकानों के गिरने का भी खतरा है। जिले में दर्जनों ऐसे भवन हैं जिनके ध्वस्तीकरण का आदेश हो चुका है, लेकिन कार्यवाही आगे नहीं बढ़ रही। बागपत सीएचसी में जर्जर वाटर टैंक कब गिर जाए, कुछ पता नहीं। खेकड़ा में 10 जर्जर विद्यालयों की इमारतें ध्वस्त करने के आदेश हुए थे, लेकिन लगता है सरकारी मशीनरी किसी हादसे के इंतजार में है।

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बागपत सीएचसी में ओवरहेड टैंक के ध्वस्तीकरण के लिए स्वास्थ्य विभाग का प्रस्ताव शासन के पास लंबित है। इसे गिराने व नया टैंक बनाने के लिए जब कैबिनेट हरी झंडी देगी तभी कोई प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। बहरहाल, इस लंबित प्रक्रिया को सात-आठ माह होने वाले हैं, लेकिन कैबिनेट को इसकी फिक्र नहीं है। आवासीय परिसर में बनी यह टंकी इतनी जर्जर है कि कभी भी गिर सकती है।

इसी टंकी के पास से रोजाना सैकड़ों मरीज, तीमारदार और स्वास्थ्य विभाग का स्टाफ गुजरता है। ईश्वर न करे यदि टंकी धराशाई हो गयी तो अनेक जान जा सकती हैं।

खेकड़ा क्षेत्र में 2002 में ब्लॉक में परिषदीय विद्यालय की इमारतों के पास में ही विभाग की ओर से नई इमारतों के बनवाने का काम चालू कराया गया था। करीब चार साल में पुराने 10 विद्यालयों के बराबर में नई इमारतें बनकर तैयार हुई थी। विभाग के आदेशों के बाद शिक्षण कार्य शुरू हुआ। तभी से ये इमारतें खाली पड़ी हुई हैं। स्कूल के समय बच्चे इन्हीं इमारतों के भीतर खेलते हैं। दो बार इमारत का मलबा गिरने से कई बच्चे घायल भी हुए थे। ग्रामीणों की शिकायत पर तत्कालीन डीएम जीएस प्रियदर्शी ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इन जर्जर इमारतों को ध्वस्त कराने के निर्देश दिए थे। इमारत गिराने के लिए शिक्षा विभाग ने लोक निर्माण विभाग से मलबे की अनुमानित लागत तैयार कराने को पत्र भेजा था। विभागों के बीच कई महीनों तक पत्राचार जारी रहा, लेकिन आज तक अनुमानित लागत नहीं बनी है। इसके चलते आज भी 10 इमारतें जर्जर हालत में खड़ी हैं जो कभी भी गिर सकती हैं। इनमें उच्च प्राथमिक विद्यालय नं. एक खेकड़ा, प्राथमिक विद्यालय नं. तीन खेकड़ा, प्राथमिक विद्यालय नं. दो बसी, प्राथमिक विद्यालय नं. दो बड़ागांव, उच्च प्राथमिक विद्यालय डगरपुर, प्राथमिक विद्यालय नंगलाबड़ी, प्राथमिक विद्यालय नं. एक मवीकलां, प्राथमिक विद्यालय सहवानपुर, प्राथमिक विद्यालय नं. एक काठा व प्राथमिक विद्यालय रटौल शामिल हैं।


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