दस साल में महज एक किसान को क्षतिपूर्ति
बागपत : बिजली की ¨चगारी से भले ही हजारों बीघा गन्ना, गेहूं और अन्य फसल जलने से किसानों को करोड़ों रुप
बागपत : बिजली की ¨चगारी से भले ही हजारों बीघा गन्ना, गेहूं और अन्य फसल जलने से किसानों को करोड़ों रुपये की चपत लगी हो, पर ऊर्जा निगम के दस्तावेज में किसानों का नुकसान सिफर है। आरटीआइ से खुलासा हुआ कि ऊर्जा निगम से दस साल में महज एक किसान को फसल क्षतिपूर्ति का भुगतान हुआ है।
बिजली का तार टूटने और स्पार्किंग से आए दिन फसल जलने की खबरें मिलती रहती हैं। चालू साल में मार्च से अप्रैल तक ही सैकड़ों किसानों की हजारों बीघा गेहूं और गन्ना फसल जलने से करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है। साल 2013 में जनपद में 200 से ज्यादा किसानों की दो हजार बीघा से ज्यादा गन्ना और गेहूं फसल जलने से किसानों को भारी नुकसान हुआ था। साल 2014 और 2015 में भी हजारों बीघा फसल जलने से किसानों ने कलक्ट्रेट और ऊर्जा निगम के दफ्तरों पर हंगामा किया था।
दस साल में जली फसलों का नुकसान जोड़ा जाए तो अरबों रुपये से कम नहीं होगा। इसके बावजूद ऊर्जा निगम के रिकार्ड में साल 2006 से 2016 तक बिजली की ¨चगारी से महज एक किसान की फसल स्वाहा हुई है। यह खुलासा हुआ पवन तिवारी की आरटीआइ पर ऊर्जा निगम से मिले जवाब से। दरअसल, पवन तिवारी ने ऊर्जा निगम से यह जानकारी मांगी थी कि उक्त अवधि में आग से कितनी फसल जली और कितनी शिकायत मिली? कितनी शिकायतों का निस्तारण करने को क्षतिपूर्ति के रूप में कितनी राशि का भुगतान किया गया?
लेकिन, ऊर्जा निगम के एक्सइएन ने चौंकाने वाली जानकारी उपलब्ध कराई कि दस साल में न कोई शिकायत आई और न कोई फसल जली। फरवरी 2016 में जरूर एक शिकायत मिलने पर किसान को 20 मई को 81 हजार 400 रुपये क्षतिपूर्ति का भुगतान किया गया। बात साफ है कि फसल जलने की जो शिकायतें मिलती हैं, उन्हें ऊर्जा निगम और प्रशासन रिकार्ड में दर्ज ही नहीं करता है। सवाल यह है कि दस साल में 290 गांव और आठ कस्बों में क्या एक किसान की ही फसल जली?।