ओम नम: शिवाय..
खेकड़ा के मोहल्ला अहिरान में नगर का सबसे प्राचीन शिव मंदिर है। यहां शिवरात्रि में विशाल मेला लगता है
खेकड़ा के मोहल्ला अहिरान में नगर का सबसे प्राचीन शिव मंदिर है। यहां शिवरात्रि में विशाल मेला लगता है, जहां दूर दराज से हजारों श्रद्धालु भगवान आशुतोष का जलाभिषेक कर मन्नतें मांगते हैं। मंदिर की विशेषता है, यहां अनवरत निर्माण कार्य जारी रहता है।
इतिहास
इस प्राचीन शिव मंदिर के निर्माण का वैसे तो कोई इतिहास नहीं मिलता। बुजुर्गों का कहना है, करीब 900 साल पहले खेकड़ा बसा था, तभी से यह मंदिर भी स्थित है। मंदिर का इतिहास भी करीब 900 साल पुराना है। लोग बताते हैं, मंदिर के गर्भ गृह की नक्काशी व चित्रकारी को आज तक छेड़ा नहीं गया है, पेंट भी उसी समय का है। इतिहासवेत्ता भी इसे बहुत प्राचीन मंदिर करार देते हैं। यमुना नदी पहले इसी मंदिर के बराबर से होकर बहती थी, जो बाद में दूर चली गई। मंदिर के रखरखाव के लिए करीब 25 साल से एक ही कमेटी काम कर रही है। संप्रति शिव मंदिर परिसर में राधा-कृष्ण, राम दरबार, दुर्गा माता, राम भक्त हनुमान, भगवान परशुराम, भैरव, गणेश भगवान, नवग्रह समेत शनिदेव, मां काली, मां संतोषी की प्रतिमाएं स्थित है। साल में दो बार श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन होता है, जिसमें दूर दराज से सैकड़ो श्रद्धालु भाग लेते हैं।
तैयारियां
सावन माह की महाशिवरात्रि को यहां भगवान शंकर की पूजा होती है और श्रद्धालु हरिद्वार से जल लाकर भगवान आशुतोष का अभिषेक करते हैं। शिव भक्तों के लिए अभी से कमेटी की ओर से तैयारी शुरू कर दी गई हैं। पेंट रंग रोगन आदि कराया जा रहा है। भक्तों के बैठने लेटने के लिए तख्त ठीक कराए जा रहे हैं। विशेष साफ सफाई का कार्य जोरशोर से जारी है।
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जो भक्त यहां सच्चे मन से लगातार भगवान शिव की पूजा अर्चना करता है, जलाभिषेक करता है, भगवान भोले उसकी मनोकामना जरूर पूरी करते हैं। यहां ऐसे कई चमत्कार देखे गए, जिनको देख कर लोग दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर हो गए।
रामभूषण त्रिपाठी, पुजारी शिव मंदिर अहिरान।
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मंदिर के प्रति श्रद्धा का ही परिणाम है, जिसने भी यहां सेवा की उसका उद्धार हो गया। ऐसे अनेक युवा हैं जो यहां सेवा कर सरकारी सेवा में हैं और सम्मान प्राप्त कर रहे हैं। सेठ भागमल का परिवार एक उदाहरण है, जो बीमारी की हालत में सेवा करता था और पूर्ण स्वस्थ हो गया था।
आनंद यादव, श्रद्धालु।