मिलने लगी घोटले के खुलासे की सजा?
रामानुज, बागपत : आखिरकार कृषि मंत्रालय ने सीसीएस एनआइएएच के निदेशक को कार्यमुक्त करने का सोमवार देर
रामानुज, बागपत : आखिरकार कृषि मंत्रालय ने सीसीएस एनआइएएच के निदेशक को कार्यमुक्त करने का सोमवार देर शाम फरमान जारी कर दिया। मंत्रालय ने निदेशक डा. बीआर सिंह को निर्देश दिया है, वह मंगलवार (आज) अपना कार्यभार सहायक निदेशक को सौंप दें।
खुरपका-मुंहपका वैक्सीन के परीक्षण में अधोमानक पाए जाने और अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में इसको प्रस्तुत किए जाने व अनुसंधान साइटों पर इसकी सच्चाई को उजागर करने तथा कृषि मंत्रालय एवं भारत सरकार पशुपालन विभाग को रिपोर्ट दिए जाने को लेकर जिसका डर था, वही हुआ। अंतत: कृषि मंत्रालय ने 19 दिन बाद चौधरी चरण सिंह राष्ट्रीय पशु स्वास्थ्य संस्थान (सीसीएस एनआइएएच, बागपत) के निदेशक वैज्ञानिक डा. बीआर सिंह को संस्थान से बाहर का रास्ता दिखा दिया। सोमवार देर शाम भेजे गए अपने आदेश में मंत्रालय ने डा. सिंह को अपना कार्यभार संस्थान के सहायक निदेशक डा. संदीप सिंह को सौंपने को कहा है। सीसीएस- एनआइएएच में कोई स्थायी निदेशक नहीं है, लेकिन खुरपका-मुंहपका वैक्सीन में गड़बड़ी के खुलासे के बाद आशंका जताई जा रही थी कि इसकी सजा निदेशक को मिल सकती थी। सूत्रों के मुताबिक, संस्थान के निदेशक को सच्चाई उजागर करना इतना महंगा पड़ा कि उन्हें न केवल संस्थान से हटा दिया गया, वरन उनकी योग्यता पर भी सवाल खड़े कर दिए गए। विश्वस्त सूत्रों का कहना है, अभी तो डा. सिंह पर यह कार्रवाई का पहला कदम है। फिलहाल वे बरेली आरवीआई में तैनात हैं। कहा जा रहा है कि इस तरह की कार्रवाई दबाव बनाने का तरीका है। गौरतलब है, 'दैनिक जागरण' ने गत 5 नवंबर-14 को सीसीएस एनआइएएच में खुरपका-मुंहपका वैक्सीन के परीक्षण में अधोमानक पाए जाने और इसके शोध को मथुरा में हुई 28वीं अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस में प्रस्तुत करने तथा भारत सरकार सहित विभिन्न विभागों को इसकी रिपोर्ट देने के खुलासे को प्रकाशित किया था। तब जागरण ने संस्थान के निदेशक पर गाज गिराने की आशंका जताई थी, जो अब सच साबित हो गई है।