ये है गैंग ऑफ बागपत
आगरा : ये है गैंग ऑफ बागपत। गैंग के 100 शार्प शूटर्स के निशाने पर है स्टेडियम में रखा गोल्ड मेडल। इसके लिए पूरा गैंग अपनी पिस्टल और रायफल के साथ तैयार है। आपको इनसे डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इस गैंग की पिस्टल से निकलने वाली गोली से किसी की जान नहीं जाती, बल्कि इससे मेडल निकलते हैं।
हम बात कर रहे हैं यूपी स्टेट इंटर स्कूल शूटिंग चैंपियनशिप की। एकलव्य स्टेडियम में चल रही इस चैंपियनशिप में पूरे प्रदेश से खिलाड़ी भाग लेने आए हैं। मगर, आधे से ज्यादा केवल बागपत जिले से आए हैं। इनकी उम्र 10 से 17 साल के बीच है। 10 साल के दिपांशु ने बताया कि वह तीन महीने से शूटिंग की प्रैक्टिस कर रहा है। उसका लक्ष्य सेना में नौकरी पाना है। वह स्कूल से एक बजे छुट्टी होने पर सीधे शूटिंग रेंज पहुंच जाता है। जहां पांच बजे तक प्रैक्टिस करते हैं। आठवीं क्लास के यश कौशिक की भी यही दिनचर्या है। पढ़ाई और निशानेबाजी। 'गैंग' के हनी, तुषार, अनुज राठी, सौरभ, शुभम, आकाश जैसे दर्जनों खिलाड़ियों का यहीं रुटीन है। प्रतियोगिता में आए भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के पूर्व कोच कुलदीप ने बताया कि शूटिंग के लिए सबसे ज्यादा हथियार बागपत जिले में हैं। इसके अलावा एयरफोर्स, एयर इंडिया की टीम में ज्यादातर शूटर बागपत के ही हैं।
ज्यादातर किसान के बेटे
शूटिंग सीखने वाले यह खिलाड़ी किसी बडे़ घर से ताल्लुक नहीं रखते हैं। इनमें ज्यादातर किसानों और शेष मजदूरों के बेटे हैं। हालांकि यह खेल महंगा है, लेकिन प्रतिभा के सामने कोई बाधा नहीं आती। इसलिए जो बच्चे वेपन नहीं खरीद पाते, वह दूसरे खिलाड़ियों के वेपन से प्रैक्टिस करते हैं।
शूटिंग यानी नौकरी की गारंटी
कोच विपिन ने बताया कि बागपत में शूटिंग को फौज में नौकरी की गारंटी माना जाता है, इसलिए युवाओं का निशानेबाजी की तरफ रुझान बढ़ गया है। 10 साल की उम्र से बच्चे शूटिंग की ट्रेनिंग में जुट जाते हैं। सबका लक्ष्य आर्मी ब्वायज स्पोर्ट्स चैंपियनशिप (एबीएससी) और यंग ब्लड चैंपियनशिप (वाईबीसी) होती है। एबीएससी में 11 से 16 साल के प्रतिभाशाली निशानेबाजों को लिया जाता है। भारतीय खेल प्राधिकरण इन्हें ट्रेनिंग देता है।
छोटे से जिले में 10 शूटिंग रेंज
बागपत में शूटिंग का क्रेज का पता इससे ही चलता है कि वहां पर साई की शूटिंग रेंज के साथ 10 प्राइवेट शूटिंग रेंज हैं। वहां बच्चे शूटिंग सीखते हैं। कोच ने बताया कि बागपत में शूटिंग को लाने वाले शूटर डॉ. राजपाल सिंह हैं। बागपत के जोड़ी गांव में हर घर में एक शूटर है। शूटिंग के दम पर करीब 500 से ज्यादा खिलाड़ी एयर इंडिया, एयरफोर्स, सीआरपीएफ, एसएसबी और सेना में नौकरी पा चुके हैं।
स्पेशल ट्रेनिंग से होती है शुरुआत
कोच सुमित राठी ने बताया कि जब उनके पास बच्चा आता है, तो सबसे पहला काम उसके हाथ का कम्पन खत्म करना होता है। इसके लिए वह 15 दिन तक हाथ में ईट पकड़ाकर अभ्यास कराते हैं। पानी की बोतल हाथ में देकर कम्पन देखा जाता है। जब तक बोतल में पानी हिलता है, अभ्यास चलता जाता है।