एक ही परिवार के चार को उतारा था मौत के घाट
बागपत : आतंक का पर्याय बन चुके एक लाख का इनामी अमित उर्फ सद्दाम के खिलाफ मारपीट, जानलेवा हमला और हत्या आदि के 20 मुकदमे जिले में कायम हैं, जबकि एक हत्या के आरोप में वह अदालत से दोषमुक्त किया जा चुका है। रंजिश के चलते आरोपी अपने ही गांव में एक ही परिवार के चार लोगों को मौत के घाट उतार चुका है। आसपास के जिलों समेत उसके खिलाफ विभिन्न थानों में 38 मुकदमे दर्ज हैं जिनमें 22 हत्या के हैं। शुक्रवार को गाजियाबाद क्षेत्र में गोली लगने से घायल हुए गांगनौली निवासी एक लाख के इनामी अमित उर्फ सद्दाम को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं भी हो रही हैं। ध्यान रहे कि पुलिस सद्दाम व प्रमोद को पकड़ने के लिए कई बार जाल बिछा चुकी थी लेकिन वे हत्थे नहीं चढ़े थे।
अमित उर्फ सद्दाम बागपत में वर्ष 2012 से एक दर्जन मुकदमों में फरार चल रहा है। इन्हीं में हत्याओं के सात मुकदमे भी शामिल हैं। सद्दाम ने रंजिश के चलते गांव में एक ही परिवार के प्रवीण, संजीव, सरोज व रामवीर को मौत के घाट उतारा, जबकि राजीव, नैन सिंह व जितेंद्र की हत्या करने में भी सद्दाम शामिल रहा। उसके खिलाफ 20 मुकदमे कायम हैं। इन सभी में गांगनौली का ही उसका साथी प्रमोद भी शामिल रहा हैं। वह भी एक लाख का इनामी है। 20 नवंबर-2011 को अदालत ने हत्या के आरोप में उसे दोषमुक्त कर दिया था। जानलेवा हमले के मुकदमे को छोड़ दें तो उसके खिलाफ सभी मुकदमे दोघट थाने में ही कायम हैं।
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शरणदाताओं की नहीं
है कोई गिनती
-शामली और मुजफ्फरनगर में हैं सबसे ज्यादा ठिकाने
जागरण संवाददाता, बागपत
अमित उर्फ सद्दाम को शरण देने वालों की कोई गिनती नहीं है। गांव से लेकर हरियाणा राज्य तक में उसे लोग अपने घरों में छुपाए रखते थे। यही कारण रहा है कि वह पुलिस के हत्थे ही नहीं चढ़ सका।
अमित उर्फ सद्दाम की गांव में एक ही परिवार के साथ रंजिश चल रही है। गांव के दूसरे लोगों को वह ज्यादा परेशान नहीं करता था। यही कारण है कि गांव के अधिकांश लोग उसके साथ रहते थे। घटना के बाद उसे अपने घर और खेतों में छुपा लेते थे। गांगनौली गांव की सीमा मुजफ्फरनगर जनपद से सटी हुई है। शामली भी नजदीक पड़ता है इसलिए उसके सबसे ज्यादा ठिकाने अपने गांव के जंगल के अलावा इन दोनों ही जनपदों में बने हुए थे। वह अपने साथी एक लाख के इनामी प्रमोद और गिरोह के अन्य लोगों के साथ अक्सर ग्रामीणों को खेतों में मिल जाया करता था, लेकिन लोग किसी को सुराग नहीं देते थे। पुलिस की मानें तो वह शामली, मेरठ, सोनीपत, मुजफ्फरनगर और गांगनौली में पनाह लेते थे और घटना को अंजाम देकर शरण देने वालों के घर पहुंच जाते थे और वहीं पर हथियार छुपा देते थे।
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शरण देने वाले लोग
उससे लेते थे काम
अमित उर्फ सद्दाम को लोग बिना बात ही पनाह नहीं देते थे। इसके पीछे उनका मकसद उसके माध्यम से अपना काम भी निकालना होता था। लोग उसे पनाह देते थे और उसके नाम पर लोगों को डराते-धमकाते थे और कई बार तो अपने दुश्मनों से बदला लेने में उसे साथ ले लेते थे।
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एक ही परिवार में चार कत्ल
-पीड़ित परिवार के बचे लोग कर गए पलायन
-रिश्तेदारों को बना हुआ है जान का खतरा
जागरण संवाददाता, बागपत
अमित उर्फ सद्दाम और प्रमोद गिरोह का सदस्य पहले उनके गांव का ही प्रवीण भी हुआ करता था, लेकिन बाद में आपसी वर्चस्व को लेकर प्रवीण की दोनों से ठन गई थी। इसके बाद दोनों बदमाशों ने प्रवीण के साथ ही उसके परिवार के तीन और लोगों को मौत के घाट उतार दिया।
सद्दाम और प्रमोद की अपने ही गिरोह के सदस्य प्रवीण के साथ दुश्मनी हो गई थी। इसके बाद दोनों ने 13 अगस्त-2012 को प्रवीण के पिता राजेंद्र पर जानलेवा हमला कर दिया। अगले माह 12 सितंबर को दोनों ने प्रवीण की हत्या कर दी। इसके बाद दोनों ने ही प्रवीण के चचेरे भाई संजीव को मौत के घाट उतार दिया। 13 नवंबर-13 को दोनों बदमाशों ने गिरोह के लोगों के साथ मिलकर प्रवीण की ताई सरोज और ताऊ रामवीर की पुलिस सुरक्षा में हत्या कर दी। सरोज प्रवीण और संजीव की हत्याओं की पैरवी कर रही थी। दंपती की हत्या की गूंज लखनऊ तक पहुंची थी। इसके बाद ही दोनों बदमाश पुलिस का टारगेट बन गए। अमित और प्रमोद की दहशत के कारण पीडि़त परिवार के बचे सदस्य गांव छोड़कर चले गए थे और इक्का दुक्का जो गांव में बचे थे उनकी सुरक्षा पुलिस 24 घंटे करती थी। दोनों ही बदमाशों ने कई दफा पीड़ित परिवार के खेतों में खड़ी फसलें भी उजाड़ी।
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रिश्तेदारों को भी जान का खतरा
अमित और प्रमोद से पीड़ित परिवार के रिश्तेदारों को भी जान का खतरा बना हुआ है। मृतका सरोज के भाई अशोक फौजी का परिवार चांदनहेड़ी और बहन सुशीला का परिवार बागपत में रहता है। दोनों ही परिवारों की असुरक्षा की भावना को देखते हुए पुलिस बल तैनात रहता है।
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अत्याधुनिक हथियारों से लैस रहता है गिरोह
-दोनों के गिरोह में हैं 15 से ज्यादा सदस्य
-अमित उर्फ सद्दाम और प्रमोद नाम से गैंग
जागरण संवाददाता, बागपत
पुलिस रिकार्ड में अमित उर्फ सद्दाम और प्रमोद के नाम से गिरोह पंजीकृत हैं। गिरोह के 20 से ज्यादा सदस्य हैं, जो अत्याधुनिक हथियारों का प्रयोग करते हैं।
पुलिस के मुताबिक गांगनौली गांव के रहने वाले अमित उर्फ सद्दाम और प्रमोद के नाम से पिछले साल ही पुलिस रिकार्ड में गिरोह पंजीकृत हुआ है। गिरोह में अपिल लुहारी, सुदेश गंजा, भूरा, चीनू आदि 20 से ज्यादा सदस्य हैं, जिनके पास 9 एमएम की कारबाइन, 315 की रायफल, प्रतिबंधित बोर की पिस्टल, हैंड ग्रेनेड आदि उपलब्ध हैं। पुलिस भी इस गिरोह से सीधा मुकाबला करने में खौफ खाती है। इनके ही गांव का परीक्षित दोनों के मुकाबले पर खड़ा हुआ था, लेकिन दोनों ने दूर से ही उसका खात्मा करवा दिया। पुलिस रिकार्ड में दोनों के खिलाफ कम घटनाएं ही पंजीकृत हैं, लेकिन दोनों बदमाशों ने ऐसी कितनी ही घटनाओं को अंजाम दिया है, जो पुलिस रिकार्ड में दर्ज ही नहीं कराई गई। गिरोह के पास कई लग्जरी कारें भी हैं।
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इन पर भी है पुलिस की नजर
कुख्यात अमित उर्फ सद्दाम के गिरफ्तार होने के बाद पुलिस की निगाह अब उसके साथी प्रमोद पर लग गई है। पुलिस के अनुसार किसी भी वारदात को अंजाम देने में प्रमोद का ही दिमाग चलता है। 50 हजार रुपए का इनामी बदमाश राहुल खट्टा भी ताबड़तोड़ वारदात कर पुलिस का सिरदर्द बना हुआ है। पुलिस को उसकी 14 लाख रुपए की लूट, हनीफ हत्याकांड समेत कई गंभीर घटनाओं में तलाश है, लेकिन पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर सकी है। इनके अलावा छपरौली थाना क्षेत्र के कुख्यात बदमाश सुकरमपाल उर्फ भगत जी भी दो साल से ज्यादा समय से फरार चल रहा है।
गुंडा से कुख्यात बना सद्दाम
अमित उर्फ सद्दाम आठ साल पहले दोघट क्षेत्र का मामूली गुंडा हुआ करता था, जो देखते ही देखते कुख्यात बदमाश बन गया। उसने और प्रमोद ने गांव में ही प्रवीण का मर्डर किया था, उसके बाद ही वह दोनों फरार चल रहे हैं।
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