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हर वारदात में पुलिस के खाली रहे हाथ

By Edited By: Published: Thu, 24 Apr 2014 11:30 PM (IST)Updated: Thu, 24 Apr 2014 11:30 PM (IST)
हर वारदात में पुलिस के खाली रहे हाथ

बागपत : सद्दाम, प्रमोद और राहुल कत्ल करे या लूट या फिर रंगदारी मांगें। पुलिस घटना के बाद हरकत में आती है, लेकिन कुछ दिन बाद फिर वह खामोश होकर बैठ जाती है और बाद में तो नौबत यहां तक आ जाती है,दबिश भी हवाई दावों में सिमट जाती है।

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हत्या की वारदात गांगनौली गांव में हो खट्टा प्रहलादपुर में, सद्दाम, प्रमोद और राहुल को पकड़ने के लिए तत्परता के साथ पुलिस हरकत में आती है और थाना पुलिस और क्राइम ब्रांच के अलावा कई और पुलिस की टीमों का गठन होता है। लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीतता है वैसे-वैसे ही तीनों की गिरफ्तारी को लेकर पुलिस का जोश ठंडा पड़ने लगता है। नौबत यहां तक आ जाती है कि पीड़ित लोग इनकी गिरफ्तारी और अपनी सुरक्षा के लिए अधिकारियों के यहां चक्कर लगाने शुरू कर देते हैं। पुलिस की दबिश दावों तक सिमटकर रह जाती है। पिछले दो साल में एक नहीं आधा दर्जन से ज्यादा लोगों को इन्हीं तीनों बदमाशों ने मौत के घाट उतार दिया, लेकिन एक भी घटना में पुलिस तीनों में से एक को भी गिरफ्तार नहीं कर सकी है। क्राइम ब्रांच भी लोगों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर रही है। बताया जाता है कि तीनों बदमाशों के पास अत्याधुनिक हथियार हैं और यही कारण है कि पुलिस इनके गिरोह पर हाथ डालने से बचती है?

राहुल खट्टा पर हनीफ ठेकेदार, पूर्व प्रधान महेंद्र सिंह, बालैनी में पशु व्यापारियों से 14 लाख रुपए की लूट, सराय कस्बे में खल व्यापारी से पांच लाख रुपए की रंगदारी, पिलुखवा से गुड़गांव के व्यापारी का अपहरण, दिल्ली में 37 लाख रुपए की लूट का आरोप है।

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अभी अंधेरे तो कभी जंगल का फायदा

सद्दाम, प्रमोद और राहुल के गिरोह के साथ जितनी बार भी पुलिस की मुठभेड़ हुई है उतनी बार ही पुलिस के हाथ असफलता लगी है। पुलिस बदमाशों के पीछे दौड़ती रह गई और बदमाश पुलिस को चकमा देकर भागने में कामयाब रहे। पुलिस सूत्रों की माने तो सद्दाम और प्रमोद गिरोह का पुलिस से आमना-सामना चौगामा क्षेत्र के जंगल में ही हुआ है। कई बार गोलियां भी चली है, लेकिन दोनों शातिर बदमाश बच निकलने में सफल रहे। खासकर क्राइम ब्रांच की तीन टीमें तो तीनों इनामी बदमाशों के पीछे ही लगी हुई है। तीन माह में पुलिस के साथ तीनों बदमाशों के गिरोह की आधा दर्जन से ज्यादा मुठभेड़ हो चुकी हैं, लेकिन नतीजा शून्य ही रहा है। कभी जंगल का फायदा उठाकर तो कभी अंधेरे में बदमाश बच निकलते हैं और पुलिस हाथ मलती रह जाती है।


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