खतरे में मासूमों की जिंदगी
बदायूं : तमाम जगहों पर स्कूल बस के जर्जर होने की वजह से दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद भी जिम्मेदार नही
बदायूं : तमाम जगहों पर स्कूल बस के जर्जर होने की वजह से दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद भी जिम्मेदार नहीं चेते हैं। खटारा बसों में बच्चों को स्कूल ले जाकर उनकी जान से खिलवाड़ किया जा रहा है। बसों की स्थिति भी ऐसी कि कब कौन सा पुर्जा बाहर निकलकर गिर जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। स्कूल में मानसिक रूप से इतनी थकान नहीं होती, जितनी बस में बैठकर शारीरिक रूप से होती है। अभिभावकों के भी जागरूक न होने की वजह से वह भी इस ओर ध्यान नहीं देते। बाद में पछताने के अलावा कुछ नहीं बचता।
पेट्रोल का दाम थोड़ा सा बढ़ा और स्कूल बसों के किराए में बढ़ोत्तरी हो जाती है, लेकिन कीमत कम होने पर किराया कम नहीं किया जाता। सत्र में तीन या चार बार किराया वसूल किया जाता है। अभिभावकों से भरपूर किराया लेने के बाद भी बच्चों को सुविधाएं नहीं दी जातीं। टूटी सीटों पर बैठकर सफर करना पड़ता है। पिछले सत्र में शाहजहांपुर में एक स्कूल की फर्श से विद्यार्थी के नीचे गिर जाने से उसकी मौत के बाद जिम्मेदारों ने कुछ दिन तक अभियान चलाया और सुधार नजर आया, कुछ दिनों में स्थिति पुरानी जैसी ही हो गई। सबकुछ पुराने ढर्रे पर आ गया। आलम यह है कि ज्यादातर नामचीन स्कूलों की बसों में मानकों को दरकिनार किया जा रहा है। लगातार ही हजारों रुपये सत्र में अभिभावकों से वसूल किए जा रहे हैं।