सिस्टम से उठा भरोसा, रुपये के लिए मची होड़
बदायूं : काला धन को बाहर निकालने के इरादे से की गई नोटबंदी आम आदमी के लिए मुसीबत का सबब बन गई है। का
बदायूं : काला धन को बाहर निकालने के इरादे से की गई नोटबंदी आम आदमी के लिए मुसीबत का सबब बन गई है। कागजों में हो रहे आदेश के मुताबिक बैंकों में लोगों को राहत नहीं मिल पा रही है, शायद इसीलिए सिस्टम से भरोसा उठता जा रहा है। यही वजह है कि बैंकों और एटीएम पर जो लाइन छोटी होने लगी थी, फिर बढ़ती जा रही है। घने कोहरे में सुबह से शाम तक लोगों की कतारें लगी रहीं।
घने कोहरे के बीच बैंक खुलने से पहले ही लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। बच्चों की फीस, ट्यूशन फीस, दूध की उधारी चुकाने के लिए रुपये की हर परिवार को जरूरत पड़ रही है, लेकिन पूरी नहीं हो पा रही है। दिनभर लाइन लगाने के बाद अगर नंबर आ गया तो रुपये मिल जा रहे हैं, अन्यथा मायूस होकर लौटना पड़ रहा है। बैंकों के बाहर बुजुर्गों और महिलाओं की हालत देखकर भी व्यवस्था देखने वालों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। आदेश तो हुए हैं कि बुजुर्गों और महिलाओं को वरीयता दी जाए, लेकिन कहीं इसका पालन नहीं हो रहा है। शहर में एसबीआई, पीएनबी समेत प्रमुख बैंकों से रुपये निकल रहे थे, लेकिन यूनियन बैंक, यूको बैंक जैसी बैंकों में नो कैश का बोर्ड लगा हुआ था। एटीएम और ई-लाबी भी बंद रहे।
सोमवार को ही रुपये मिलने की उम्मीद
बिसौली में अब नगर की एसबीआइ कृषि विकास शाखा में खाताधारकों को सोमवार को ही रुपये मिल सकेंगे। शुक्रवार बैंक का साप्ताहिक अवकाश है। शनिवार को भी बैंक बंद रहेगी। यह बैंक रविवार को तो खुलता है, लेकिन एसबीआइ की मुख्य शाखा बंद होने के कारण इस दिन भी एक रुपया नहीं मिलेगा। बहरहाल सोमवार को ही इस बैंक में धन आयेगा। गुरुवार को भी इस बैंक के बाहर लाइन में लगे खाताधारकों को मायूस लौटना पड़ा। नगर के पजाब नेशलन बैंक में एक रूपया नहीं आया। इधर एसबीआई के एटीएम के बाहर लाइन लगी रही। सबसे बड़ी बात तो यह है कि एसबीआई के एटीएम के अलावा और कोई भी एटीएम काम ही नहीं करता है।
नौ नवंबर से बंद हैं बिल्सी के एटीएम
नगर की बैंकों से भुगतान लेने पांच सौ व हजार के नोट जमा करने के लिए बैंक खुलने से पहले लाइनें लग गईं। बैंकों के एटीएम चालू कर दिए जाएं तो बैंकों में लगने वाली लाइनों की संख्या कम होगी। अभी तक नगर की सभी बैंकों के एटीएम नौ नवंबर से बंद होने के चलते बैंकों से भुगतान के लिए लाइनें लग रही है।जरूरत के अनुसार कृषक व्यापारियों को भुगतान नहीं दिया जा रहा है। खाता धारकों को बैंकों से तीस हजार रुपये दिए जा रहे हैं। बैंकों में जान-पहचान वालों को एक महीना में चार-चार बार भुगतान दिया गया है। गैर जान पहचान के लोगों को बैंकों से दो से चार हजार भुगतान दिया जा रहा है। जरूरतमंदों को बैंक में लाइन में लगने के बाद भुगतान काउंटर पर निकासी फार्म दिया जाता है। जिससे अनपढ़ लोगों को परेशानी हो रही है। इधर मंडी समिति में अनाज खरीददारी सस्ते दामों पर किए जाने से कृषकों को उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है।
संसू, सैदपुर : सर्व यूपी ग्रामीण बैंक में कस्बे के मुहल्ला गौस नगर निवासी मिक्की मियां का खाता है। वह बैंक पहुंचे तो उन्होंने खाते की जानकारी ली। मैनेजर ने सही जानकारी नहीं दी साथ ही अन्य बैंक में खाता खोले जाने की बात कहे जाने से ग्राहक नाराज हो गए। इसी बात को लेकर बैंक प्रबंधक पर पूर्व छात्र संघ नेता ने अभद्रता का आरोप लगाते हुए उच्चाधिकारियों से शिकायत की है। शाखा प्रबंधक राजेंद्र कुमार ने बताया सारे आरोप गलत हैं। पुराना खाता होने के कारण वह बंद हो गया था, जहां बैंक के ही ग्राहक सेवा केंद्र पर खाता खोलने को कहा गया था। स्टाफ भी कम है वही कैश न होने के कारण परेशानी हो रही है। भारतीय स्टेट बैंक में कैश का संकट बना रहा कैश न होने के कारण एटीएम भी बंद रहा। जिससे ग्राहक सर्दी के मौसम में परेशान रहे। शाखा प्रबंधक राजहंस गुलाठी ने बताया कैश की कमी के कारण ग्राहकों को दो-दो हजार रूपये दिए जा रहे ताकि अधिक लोगों को भुगतान हो सके।
जिले के कई बैंकों में भी हो सकती है जांच
नोट बदलने और कैश वितरण में धांधली के मामले उजागर हो रहे हैं। जिले की कई बैंकों को भी संदेह जताया जा रहा है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो कई बैंकों में यहां भी जांच कराने की तैयारी की जा रही है। शुरूआती दौर में जिन लोगों ने नोट बदलने में नियमों की अनदेखी की है कि उनकी नींद उड़ी हुई है। बड़े शहरों में जांच शुरू हो चुकी है, संभावना जताई जा रही है कि जल्द यहां भी जांच शुरू हो सकती है।
जिनके घरों में शादी उनकी हालात खराब
शादी और बीमारों के उपचार के लिए भले ही भरपूर कैश मुहैया कराने के निर्देश जारी हुए हैं, लेकिन धरातल पर जरूरतमंदों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। शादी के कारण दिखाकर फर्जीवाड़ा भी किया जा रहा है, लेकिन आम आदमी के यहां शादी होने पर रुपये निकालने के लिए इतनी औपचारिकताएं हैं कि आसानी से कैश नहीं मिल पा रहा है। बैंकों में कैश की कमी बताकर टरका दिया जा रहा है। नियमों का कड़ाई से क्रियान्वयन कराने की कोई ठोस पहल नहीं हो पा रही है।