महज जमीन के टुकड़े ने बहा दिए तीन खून
बदायूं : थाना क्षेत्र के गांव मिश्री नगला में अदना से जमीन के टुकड़े को लेकर चल रहे विवाद में एक-एक क
बदायूं : थाना क्षेत्र के गांव मिश्री नगला में अदना से जमीन के टुकड़े को लेकर चल रहे विवाद में एक-एक कर तीन लोगों की ¨जदगी द़फन हो चुकी है। इसके बाद भी लाशें गिरने का यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। नन्हें की मौत से ने एक बार फिर दोनों पक्षों के जख्म ताजा कर दिये हैं। इस विवाद में किसी ने अपना सुहाग खोया है तो किसी को अपने पुत्र व भाई से हाथ धोने पड़े हैं। कई परिवारों की खुशियां को तबाही का ग्रहण लग गया है। विवाद का सबसे ज्यादा अंजाम ऋषिपाल को भुगतना पड़ा है। उनके दोनों ही जिगर के टुकड़े रत्ती भर जमीन की भेंट चढ़ गये हैं। वह खुद भी हत्या के मामले में जेल काट चुके हैं। नन्हें की मौत से अब इस परिवार के आस्तित्व पर ही संकट आ गया है। परिवार के आगे बढ़ने की उम्मीदों की डोर अब सिर्फ नन्हें के छह महीने के बेटे सोमवीर के हवाले है। दो साल पहले ं रवेन्द्र पुत्र रघुवीर की मौत से शुरू हुआ मौतों का यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस विवाद में रवेन्द्र की गला दबाकर हत्या की गयी थी। जिसमें हत्या के आरोप में नन्हें के पिता ऋषिपाल चाचा प्रेमपाल और चरन ¨सह पर मुकदमा चल रहा है। इसके बाद पिछले साल नन्हें के बड़े भाई सतेंद्र को जहर देकर मार दिया गया । उस समय विवाद शांत करने के लिहाज ऋषिपाल ने किसी पर कोई कार्रवाई नहीं कराई। अब गुरूवार की रात नन्हें को गोलियों से भून दिया गया अ नन्हें की मौत से पत्नी बेगवती पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। अपना सुहाग उजड़ने से गमजदा बेगवती कहीं अपने बच्चे को देखकर रो पड़ती तो कभी भविष्य की ¨चता में गश खाकर गिर जाती। मासूम सोमवीर और बेगवती की हालत देखकर हर शख्स की आंख नाम दिखी। वहां मौजूद हर इंसान यह कहता दिखा कि अब इस जमीन के टुकड़ा किसके काम आएगा।
गांव में बिगड़ रहे थे हालात, आराम फरमा रही थी पुलिस
यहां भी थाना पुलिस की निष्क्रियता सामने आयी है। नन्हें को मौत के घाट उतारने के बाद आरोपी फाय¨रग कर दहशत फैलाते रहे। ताबड़तोड़ फाय¨रग से गांव में डेढ़ घंटे तक अराजकता का माहौल रहा। लोग अपने-अपने घरों में कैद हो गए। आरोपियों की दबंगई के चलते नन्हें के परिजन एक घंटे तक शव के पास जाने का साहस नहीं जुटा सके। पुलिस की सक्रियता पर सवाल उठाते हुए मृतक के चाचा राजवीर ने बताया कि पहले तो थाने का सीयूजी फोन नहीं उठा। फिर किसी तरह संपर्क हो हुआ तो पुलिस ने थाने से गांव की महज आठ किलोमीटर दूरी तय करने में डेढ़ घंटा लगा दिया। परिजनों का कहना था कि गनीमत रही कि हम लोग नन्हें के शव को उठाने नहीं गये नहीं तो आरोपी किसी को भी मार सकते थे।