उत्पीड़न रोकने के लिए अधिकारों को जानें
बदायूं : महिलाओं का शोषण रोकने के लिए कानून है। फिर भी शोषण थम नहीं रहा। इसलिए जब तक पुरुषों की सोच
बदायूं : महिलाओं का शोषण रोकने के लिए कानून है। फिर भी शोषण थम नहीं रहा। इसलिए जब तक पुरुषों की सोच नहीं बदलेगी। तब तक यह सिलसिला नहीं थमेगा। लिहाजा महिला-पुरुष दोनों की जिम्मेदारी है। वह समानता के भाव से आगे बढ़ें। ये बातें गुरुवार को राजकीय महाविद्यालय में महिला प्रकोष्ठ के तत्वावधान में आयोजित कार्यस्थल पर महिलाओं के प्रति शोषण, कारण और समाधान विषय पर आयोजित सेमिनार में बतौर मुख्य अतिथि नगर पालिका चेयरमैन फात्मा रजा ने कहीं। उन्होंने महिलाओं से भी जागरूक होकर अपने अधिकार जानने का आह्वान किया है। भाषण प्रतियोगिता में साक्षी विसारिया प्रथम, रिचा श्रीवास्तव द्वितीय और आकांक्षा राठौर तृतीय रहीं। इन्हें पुरस्कृत किया गया। सेमिनार में प्रोफेसर, बुद्धजीवी वर्ग ने अपने विचार रखे। बेटियों की शिक्षा का मुद्दा उठा। कहा गया कि बेटी पढ़ी होगी। तभी वह अपने अधिकार जानेगी। शिक्षित महिलाएं भी अपने अधिकार नहीं जानती हैं। लिहाजा महिला सुरक्षा, शोषण से जुड़े कानून की जानकारी रखें। अपने बूते चलें। कार्यस्थल के साथ घरेलू ¨हसा का भी जिक्र किया गया। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी महिलाएं की बड़ी संख्या अशिक्षित हैं। उनके साथ तमाम तरह की प्रताड़ना होती है। कार्यक्रम संयोजक डॉ. श्रद्धा गप्ता ने कहा कि मानसिक, शारीरिक उत्पीड़न के बाद भी महिलाएं पुरुषों से दस साल अधिक जीती हैं। डॉ. पारूल ने कहा कि वेद में बेटियों की सामाजिक सुरक्षा का राष्ट्रीय दायित्व कहा गया है। अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. एसपी खरे ने की। संचालन डॉ. राकेश जायसवाल ने किया। शुभारंभ मुख्य अतिथि ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दी प्रज्ज्वलित कर किया। कोहिनूर, शिवालिका, ने स्वागत गीत गाया। डॉ. सारिका, डॉ. इकबाल हबीब, डॉ. अफरोज आलम, डॉ. राधे श्याम ¨सह, डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. बबिता यादव, डॉ. मनोज कुमार, डॉ. पंकज अग्रवाल, डॉ. शरद पवार, डॉ. नीरज, डॉ. पीके शर्मा, डॉ. बरखा आदि रहे।