देश के खिलाफ बोलने की इजाजत किसी को नहीं
बदायूं : जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में देश विरोधी नारेबाजी और आतंकी हमले में फांसी पर चढ़ाए गए अ
बदायूं : जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में देश विरोधी नारेबाजी और आतंकी हमले में फांसी पर चढ़ाए गए अफजल गुरू की बरसी मनाने की बुद्धजीवी वर्ग ने कड़ी ¨नदा की है। छात्रों के इस दुस्साहस को बर्दाश्त के बाहर बताया। देश की एकता अखंडता के साथ खिलवाड़ करने के मसले पर अभिव्यक्ति की आजादी की भी इजाजत नहीं दी जा सकती है। जेएनयू में अफजल गुरू की बरसी मनाने के साथ ही देश विरोध नारे लगाए जाने की चौतरफा ¨नदा हो रही है।
देश पहले है। हर व्यक्ति का यह संवैधानिक दायित्व है कि वह अपने देश का सम्मान करे। जेएनयू के कुछ विद्यार्थियों ने देश का विरोध किया है। संविधान, सुप्रीमकोर्ट के निर्णय के खिलाफ गए हैं। यह लोकतंत्र के लिए खतरा है।
- डॉ. गार्गी बुलबुल, प्राचार्य महिला महाविद्यालय
हर छात्र पर तीन लाख रुपए किया जा रहा खर्च वापस लिया जाए। देशद्रोही को फांसी की बरसी मनाकर कोर्ट को फैसले का अपमान किया गया है। जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष की सोच बेहद खराब है। जेएनयू प्रशासन की लापरवाही पर भी कार्यवाही की जाए। कार्यक्रम संयोजक को सख्त सजा दी जाए। ताकि देश के खिलाफ बोलने का कोई दुस्साहस न करे।
- अशोक खुराना, टेंट व्यवसायी
फोटो : 11 बीडीएन 41
अभिव्यक्ति का अधिकार हर व्यक्ति को है। मगर देश के खिलाफ विरोध जताने का हक किसी को नहीं दिया जा सकता। जेएनयू के विद्यार्थियों ने देश के खिलाफ बोलने का दुस्साहस किया है। यह असहनीय है।
- डॉ. वीके शर्मा, प्राचार्य दास कॉलेज
देश की एकता अखंडता के साथ किसी भी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता है। हर देशवासी का फर्ज है कि वह संविधान का एहतराम करे। अमन कायम रहे। बरसी मनाने का सवाल है तो अगर कोई रिश्तेदार ने किया है। तब निजी मसला हो सकता है। मगर देशद्रोही के नजरिए से ऐसा किया जाना ¨नदनीय है। मैं देशद्रोही विचारधारा की कड़े शब्दों में ¨नदा करता हूं। देश सबसे पहले है।
- मौलाना डॉ. यासीन उस्मानी, उप्र उर्दू अकादमी के पूर्व अध्यक्ष