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सीडीओ ने खारिज किया पीडी का आदेश

जासं, बदायूं : विकास भवन में महीना भर से बनी तनावपूर्ण स्थिति शुक्रवार को बदल नजर आई। वजह यह थी कि प

By Edited By: Published: Fri, 19 Dec 2014 08:33 PM (IST)Updated: Fri, 19 Dec 2014 08:33 PM (IST)

जासं, बदायूं : विकास भवन में महीना भर से बनी तनावपूर्ण स्थिति शुक्रवार को बदल नजर आई। वजह यह थी कि परियोजना निदेशक के जिस आदेश को लेकर तनाव उपजा था मुख्य विकास अधिकारी ने उस आदेश को खारिज कर दिया। पीडी ने बिना सीडीओ के अनुमोदन के ही आदेश जारी किया था, जिसे सीडीओ अनुशासनहीनता माना है। मुख्य वित्त लेखाधिकारी एवं वरिष्ठ कोषाधिकारी से आख्या लेने के बाद सीडीओ ने यह आदेश जारी किया है।

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प्रकरण सांसद और विधायक निधि से जुड़ा हुआ है। ग्राम्य विकास अभिकरण में सांसद एवं विधायक निधि की पत्रावलियां पटल सहायक के प्रस्तुतीकरण के बाद अवर अभियंता, सहायक अभियंता तकनीकी परीक्षण करते हैं। मुख्य वित्त लेखाधिकारी, वरिष्ठ कोषाधिकारी वित्तीय परीक्षण करते हैं। पिछले महीने 19 नवंबर को परियोजना निदेशक राम रक्षपाल यादव ने नई व्यवस्था बनाते हुए सांसद व विधायक निधि की पत्रावलियों के परीक्षण के लिए संख्या सहायक ऋषि कुमार को नामित कर दिया। मामला संज्ञान में आने पर सीडीओ देवेंद्र सिंह कुशवाहा ने पहले पीडी से आख्या मांगी है। पीडी ने अपनी आख्या में शासनादेश एवं गाइड लाइन का कोई जिक्र नहीं किया। इसके बाद सीडीओ ने मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी से पूरे प्रकरण पर आख्या मांगी। मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी ने जो आख्या दी उसमें साफ कहा गया है कि संख्या सहायक ऋषि कुमार सामान्य वर्ग के कर्मचारी हैं, वह वित्तीय कार्य के लिए विशेषज्ञ नहीं माने जा सकते क्योंकि वित्तीय परीक्षण के लिए मुख्य वित्त एवं लेखाधिकारी नामित हैं। यह भी कहा गया है कि पटल सहायक से ही कमियों को दूर करा लिया जाता है, ऐसे में अतिरिक्त परीक्षण का कोई औचित्य ही नहीं है। संख्या सहायक के जॉब चार्ट में भी यह काम नहीं है।

सीडीओ ने तत्काल प्रभाव से पीडी का आदेश निरस्त कर दिया है। उन्होंने कहा है कि शासनादेश के मुताबिक डीआरडीए में सभी वित्तीय एवं प्रशासनिक अधिकार सीडीओ को है। पीडी को कार्य विभाजन करना था तो उन्हें पहले सीडीओ से अनुमोदन लेना चाहिए। उन्होंने माना है कि पीडी का सीधे अपने स्तर से सीधे आदेश जारी करना अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। सीडीओ ने पीडी के 19 नवंबर के आदेश को निरस्त करते हुए कहा है कि ऋषि कुमार से संख्या सहायक पद का ही काम लिया जाए। इस आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू करने के निर्देश दिए हैं।

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पहले दो बार इसी तरह के किए गए थे आदेश

सीडीओ ने पीडी के जिस आदेश को निरस्त किया है, इस तरह की व्यवस्था पूर्व में भी दो बार की जा चुकी थी। खास बात यह रही कि तब भी सपा की ही सरकार थी और ऋषि कुमार को भी यह जिम्मेदारी दी गई थी।


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