बाढ़ से बेघर हुए लोगों को नहीं मिला आशियाना
बदायूं : गंगा और रामगंगा में आई बाढ़ से प्रेमी नगला और नवादा मधुकर गांव का अस्तित्व मिट गया है। बेघर हुए ग्रामीणों को दूसरी जगह बसाने की कवायद तो महीनों से चल रही है, लेकिन अभी तक उनको आशियाना मुहैया नहीं कराया गया है। अभी भी दर्जनों परिवार दूसरे गांवों में शरणार्थी की तरह रहने को मजबूर हैं।
इस बार गंगा उफनाई तो प्रेमी नगला गांव को तबाह कर दिया। वहीं रामगंगा ने नवादा मधुकर गांव पर कहर बरपाया। प्रेमी नगला गांव का नामोनिशान खत्म हो चुका है। बेघर हुए इस गांव के 33 परिवार सथरा गांव की खाली पड़ी ग्रामसभा की जमीन पर डेरा डाले हुए हैं। गांव के दर्जन भर परिवार अपने खेतों में झोपड़ी डालकर गुजारा कर रहे हैं। सरकारी सहायता के नाम पर पीड़ित परिवारों को 2500-2500 रुपये का चेक ही दिया गया है। कानूनगो लक्ष्मन प्रसाद ने बताया कि प्रेमी नगला के 33 परिवारों को सथरा में खाली पड़ी ग्राम सभा की जमीन मुहैया कराई गई है। उन्हें यहीं पर अपना आशियाना बनाने के सुझाव दिए गए हैं।
उधर, दातागंज के नवादा मधुकर में मकान कट जाने से बेघर हुए परिवार खानाबदोस की जिंदगी गुजार रहे हैं। कुछ लोग प्राथमिक विद्यालय के पास डेरा डाले हुए हैं तो कुछ गांव के बाहर पन्नी तानकर गुजारा कर रहे हैं। एसडीएम ओपी तिवारी ने बताया कि 32 बाढ़ पीड़ित परिवारों को आर्थिक सहायता मुहैया करा दी गई है। बेघर हुए परिवारों को बसाने के लिए पड़ोस के गांव चंगासी में खलिहान की जमीन चयनित कर ली गई है। शीघ्र ही पीड़ित परिवारों को भूमि का आवंटन कर दिया जाएगा।
प्रशासन तैयार करा रहा है बाढ़ से क्षति का ब्यौरा
गंगा और रामगंगा नदियों में आई बाढ़ से जहां दर्जनों मकान कट गए वहीं सैकड़ों बीघा खेत भी नदी में समा गए। जिला प्रशासन अब बाढ़ से हुई क्षति का ब्यौरा जुटा रहा है। इसमें संबंधित तहसीलों के राजस्व कर्मियों को लगाया गया है। मूल्यांकन रिपोर्ट के आधार पर ही किसानों को दैवीय राहत कोष से मुआवजा मुहैया कराया जाएगा।