मन कांवड़-कांवड़ हो गया, जय भोले जय भोले
बदायूं : दूर-दूर तक फैली सफेद बालू की रेती में इस कदर भगवा सावन उतरा कि पूरा कछलाघाट ही शिवमय हो उठा। भगवान शिव का मास कहे जाने वाले सावन के तीसरे सोमवार की तैयारी में अब कछला घाट पर दिन-रात की चहल-पहल चालू हो गई। दूर-दराज इलाकों से आने वाले भोले बाबा के भक्त भगवामय परिधानों में सुसज्जित होकर खूब सजी-धजी कांवड़ें लेकर जल लेने पहुंच रहे हैं। इसमें युवा हैं तो महिलाएं और बच्चे भी। ब्रह्ममुहूर्त से शुरू होने वाला जल लेने का सिलसिला शाम तक जारी रहता है। उसके बाद रातभर घाट से लेकर धर्मशालाओं तक बाबा के भजन गूंजते रहते हैं।
सावन माह शुरू होते ही गंगा के कछला घाट पर कांवड़ियों का मेला लग जाता है। बदायूं के अलावा पीलीभीत, शाहजहांपुर, बरेली तो दूसरी ओर कासगंज, मैनपुरी, एटा और इटावा तक से कांवड़िए गंगा जल लेने यहां पहुंचते हैं। इस बार सावन के पहले ही दिन गंगा प्रहरियों ने घाटों पर जो सफाई अभियान चलाया, उसका व्यापक असर दिखाई पड़ रहा है। गंगा जल लेने आने वाले कांवड़िये भी अब पहले घाट पर सफाई करते हैं फिर स्नान पूजन के बाद अपनी कांवड़ भरते हैं। उनको इसके लिए घाट पर साधु-संत व गंगा प्रहरी प्रोत्साहित भी करते रहते हैं। त्रिदंडी स्वामी वासुदेवाचार्य कहते हैं कि यह पहला सावन है जब गंगा मैया की सफाई के लिए इतनी जागरूकता दिखाई पड़ रही है। घाट के दूसरे संत धर्माचार्य भी अपने-अपने तरीके से कांवड़ियों को गंगा सफाई का मंत्र दे रहे हैं।
कांवड़ियों की सर्वाधिक भीड़ कछला से बदायूं मार्ग पर दिखाई पड़ रही है। बरेली, पीलीभीत व शाहजहांपुर के कांवड़िये इधर से ही जल लेकर नाचते-गाते गुजर रहे हैं। कोई दंडवत यात्रा कर रहा है तो कोई डाक कांवड़ के साथ दौड़ रहा है। चलो रे कांवड़िया शिव के धाम, शिव आएंगे तेरे काम व मन कांवड़ कांवड़ हो गया जय भोले-जय भोले., भोले बाबा की कांवड़िया ले बोल बम बम. जैसे भजनों पर थिरकते हुए कांवड़िए आगे बढ़ते जाते हैं। विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं की ओर से यात्रा मार्ग में जगह-जगह कांवड़ियों के लिए भंडारा व जलपान आदि की भी खूब व्यवस्था की गई है।
कलान, मिर्जापुर सहित शाहजहांपुर के अन्य इलाकों से आने वाले कांवड़िए शहर के भीतर से होते हुए मंडी के सामने से अपने गंतव्य की ओर आगे बढ़ते हैं। इनके कारण शहर के मार्गो पर भी कांवड़ियों की खूब धूम दिखाई पड़ती है। प्राचीन पटना देवकली मंदिर में चढ़ाने के लिए जल लेकर जाने वाले शिव भक्तों का रेला भी इधर से ही गुजरता है।