आखिर किसकी नजर लगी राजा धर्मपाल की नगरी को
जागरण संवाददाता, बदायूं
कभी जिले की सबसे बड़ी औद्योगिक नगरी रही उझानी को यहां की अमन पसंद रिहायश माना जाता है। तभी तो राजा धर्मपाल की नगरी को रुहेला नवाब अब्दुला खां ने अपनी राजधानी बनाई थी। गुरुवार की रात यहां लोगों पर जो गुजरी उसकी पीड़ा शायद वर्षो तक सालती रहेगी। प्रशासन की लाख कोशिश के बाद भी घटना के 36 घंटे बाद भी जहां खौफ का मंजर धुंधला होने का नाम नहीं ले रहा था, वहीं लोगों में पुलिसिया नंगनाच के खिलाफ आक्रोश और टीस भी दिखाई पड़ रही थी।
उझानी में हनुमान जयंती शोभायात्रा के दौरान हुए बवाल के बाद तीसरे दिन शनिवार को भी व्यापारियों ने पूरी तरह दुकानें बंद रखीं। यह न तो किसी संगठन का आह्वान था और न किसी तरह की कोशिश। जो कुछ था वह स्वत:स्फूर्ति आक्रोश था। ठेला लगाने वाले 54 वर्षीय कन्हैयालाल ने अपनी चोटें दिखाते हुए कहा कि खता सिर्फ इतनी थी हनुमानजी की आरती में शामिल था। अचानक पुलिस खींचकर लाठियां बरसानी शुरू कर दी। अब कह रहे हैं दुकानें खोलो। कुछ ही टिप्पणी दूसरे दुकानदारों की भी रही। एडीएम प्रशासन मनोज कुमार व एसपी सिटी मान सिंह चौहान, एसपी देहात ओमप्रकाश यादव, एएसपी सत्येंद्र कुमार, सीओ सिटी सत्यसेन यादव की अगुवाई में बड़ी संख्या में पुलिस बल व प्रशासनिक अमला दुकानें खोलवाने निकला। लाउडस्पीकर से बार-बार एनाउंस किया जा रहा था कि बेखौफ होकर दुकानें खोलिए, पुलिस प्रशासन आपके साथ है। इसी बीच यह भी पता चला कि स्थानीय थाने के कुछ सिपाही दुकानदारों को फोन पर धमकी दे रहे हैं कि अगर दुकानें नहीं खोली तो मुकदमे में फंसा दिया जाएगा। इसकी जानकारी मिलते ही एसपी सिटी ने तुरंत उझानी कोतवाल को बुलाकर फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि दुकानें खोलने के लिए सिर्फ आग्रह करना है और विश्वास दिलाना है कि उनको सुरक्षा का भरोसा दिलाना है। किसी पर इसके लिए दबाव कतई नहीं डाला जाना चाहिए।
कुछ दुकानदारों ने सवाल उठाया कि मामूली सी घटना पर एक वर्ग द्वारा सीधे शोभायात्रा पर हमला किया गया। इसके बाद जब मामला शांत होने लगा तो पुलिस ने मंदिर के भीतर आरती कर रहे लोगों पर लाठियां बरसाकर स्थिति बिगाड़ दी। पुलिस का अनायास ही बल प्रयोग लोगों की समझ से परे है। कुछ लोगों ने यह भी बताया कि एक स्थानीय सपा नेता से खिलाफ बीते दिनों कुछ व्यापारियों ने तहबाजारी के ठेके को लेकर अपना विरोध जाहिर किया था। विवाद के बहाने सपा नेता के इशारे पर भी पुलिस ने उनके विरोधियों को सबक सिखाने का काम किया।
खिड़कियों से लोग लेते रहे जायजा
उझानी उपद्रव के बाद अभी लोग इस कदर खौफजदा हैं कि प्रशासन एवं पुलिस के अधिकारियों के लाख समझाने के बाद वे दुकान खोलने को राजी नहीं हो रहे थे। तमाम महिलाएं व बच्चे तो छतों व खिड़कियों से ही हालात का नजारा लेते रहे।
कोतवाल के खिलाफ सर्वाधिक गुस्सा
यहां लोगों में सबसे अधिक गुस्सा स्थानीय कोतवाल के खिलाफ है। लोगों का कहना है कि बसपा सरकार के दौरान भी एक नेता की कृपा से वे उझानी में बतौर कोतवाल तैनात रहे और उस दौरान भी कई मामलों को लेकर विवादों में रहे। उन्हीं नेता की पैरवी से अब सपा सरकार में भी उझानी का चार्ज मिल गया। घटना वाले दिन कोतवाल पहले तो शोभायात्रा के दौरान मौजूद नहीं थे, बाद में जब मामला शांत होने लगा तो बलप्रयोग करके स्थिति बिगाड़ दी। इसके अलावा ककराला में तैनात एक अन्य दारोगा पर भी लोगों को निशाना बनाकर बल प्रयोग करने का आरोप है।
घटना की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश
एडीएम प्रशासन मनोज कुमार ने बताया कि घटना के मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश हुए हैं। इसमें जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
पवन वाष्र्णेय को मिली आर्थिक सहायता
एसपी सिटी मान सिंह चौहान ने बताया कि उपद्रव के दौरान घायल भाजपा
नगर अध्यक्ष पवन वाष्र्णेय को पुलिस की ओर से इलाज के लिए दस हजार रुपए की सहायता राशि भेजवाई गई है। उनका बरेली के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है। उन्होंने बताया कि जिन लोगों का नुकसान हुआ है उनसे प्रार्थना पत्र हासिल किए जा रहे हैं। शासन स्तर से भी सहायता दिलवाने का प्रयास किया जाएगा।
उपद्रवी चिन्हित, गिरफ्तारी शीघ्र होगी
एसपी सिटी ने बताया कि इस घटना के उपद्रवी चिन्हित कर लिए गए हैं। शीघ्र ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि उपद्रवियों की गिरफ्तारी के बाद उन्हें दूर के थाने में भेजा जाएगा।
पवन की मां ने सहायता राशि लौटाई
लाठीचार्ज में घायल भाजपा नेता पवन वाष्र्णेय की मां रामकुमारी को पूर्व मंत्री विमल कृष्ण अग्रवाल ने एक लाख रुपए की सहायता राशि दी थी, जिसे बाद में रामकुमारी ने वापस लौटा दिया। उन्होंने कहा कि इस अपमान और बर्बरता की कीमत कागज के टुकड़े नहीं हो सकते।
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