Move to Jagran APP

जब बाबा भोले के भार तले दबा हाथी

महुली (सोनभद्र): भोले बाबा की नगरी काशी से सटा सोनभद्र जनपद गुप्तकाशी नाम से जाना जाता है। यहां की ध

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Feb 2017 12:02 AM (IST)Updated: Fri, 24 Feb 2017 12:02 AM (IST)
जब बाबा भोले के भार तले दबा हाथी
जब बाबा भोले के भार तले दबा हाथी

महुली (सोनभद्र): भोले बाबा की नगरी काशी से सटा सोनभद्र जनपद गुप्तकाशी नाम से जाना जाता है। यहां की धरती पर भोले बाबा के विराजमान होने के ऐतिहासिक प्रमाण पांच सौ साल पुराना है। भोले शंकर लोगों को तब नजर आए जब कई युद्धों के परिणाम स्वरूप एक शिवपहाड़ी की खोदाई कराई गई। यहां एक विशाल शिव¨लग मिला, जिसे राजा ने हाथी पर लादकर ऊटारी ले आने का आदेश दिया लेकिन भोले शंकर को लादे हाथी घिवही गांव आते-आते बैठ गया और उसके बाद वह उठ नहीं पाया। इसके बाद से अवधूत बाबा जनपदवासियों सहित देशभर के लोगों पर अपनी कृपा बरसा रहे हैं।

loksabha election banner

राजा व हाथी की किवदंतियां

जनपद का नाम गुप्तकाशी के रूप में भी विख्यात है। यह जिला कई धार्मिक विरासतों को संजोए हुए है। इसमें एक है घिवही गांव। यहां एक मंदिर में विशाल शिव¨लग है।इसकी चमत्कारिक शक्तियां और प्रचलित ¨कवदंतियां विश्व प्रसिद्ध हैं। पं गुप्तनाथ तिवारी की कृति 'दुद्धी प्रदीपिका' में इसका विस्तार से जिक्र किया गया है। बात पांच सौ साल पहले की है। उन दिनों झारखण्ड के नगर ऊटारी के राजा भवानी देव और महुली के राजा बरियार शाह के बीच एक युद्ध हुआ। इसमें महुली के राजा बरियारशाह को मार गिराया गया। इसके बाद राजा भवानी देव ने इसी जगह शिवपहाड़ी की खोदाई करानी शुरू कर दी। कुछ दिनों बाद इस पहाड़ी से सोने की वंशीधर की मूर्ति और विशाल शिव¨लग मिला। वंशीधर का वजन 32 मन का था।

पांच सौ साल से लग रहा मेला

राजा ने शिव¨लग को देख खुशी में झूम उठा और उसे अपने नगर में ले जाने का आदेश दिया। शिव¨लग को हाथी पर लादकर नगर के लिए चले। यह हाथी घिवही गांव के पास जैसे ही पहुंचा, एकाएक बैठ गया। काफी प्रयास के बाद भी वह हाथी उठ न सका। तब राजा ने शिव¨लग को यहीं छोड़कर चला गया। राजा अपने साथ केवल वंशीधर की मूर्ति को लेकर ही जा सका। इसके बाद छेत्र के लोगों ने गांव में रेघड़ा नामक स्थान पर शिव¨लग की प्राण प्रतिष्ठा कराई। किवदंतियों के अनुसार, उस समय 32 मन घी और इतने ही दूध से भगवान भोलेनाथ शिव¨लग का अभिषेक कराया। तब से लेकर आज तक इस स्थान पर हर साल महाशिवरात्रि के दिन मेला लगता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.