ज्ञान को समृद्ध बनाने का प्रयास करें
आजमगढ़: लक्षिरामपुर उत्तमनगर स्थित सृजन परिसर स्थित पुस्तकालय में रविवार को आयोजित गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे जनवादी साहित्यकार व जेएनयू दिल्ली के भारतीय भाषा केन्द्र के पूर्व अध्यक्ष मैनजर पांडेय ने कहा कि यहां लगे सभी चित्र व पेंटिंग कुछ न कुछ कहते हैं। कला से संवाद मनुष्य की बुद्धि, संवेदना, कल्पना, सोच और भावना का विकास करता है।
उन्होंने जिले के लोगों से कहा कि अपने अतीत के गौरवशाली इतिहास को ध्यान में रखकर ज्ञान को समृद्ध बनाने का प्रयास करें तो आजमगढ़ को बदनाम करने वालों को अपने आप करारा जवाब मिल जायेगा।
बीएचयू के हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ. अवधेश प्रधान ने कहा कि आजादी की लड़ाई के दौर में गांव-गांव पुस्तकालय खोलने का जज्बा था लेकिन 1950 के बाद यह जज्बा कम होता जा रहा है। ऐसे समय में सृजन परिसर के संस्थापक राजीव रंजन द्वारा पिछले दिनों जिले में पुस्तक मेले का आयोजन कर बड़ा कदम उठाया गया। नया पथ पत्रिका की संपादक रेखा अवस्थी ने पुस्तकालय को लोगों को जिन्दा रखने की प्रेरणा बताया। मुरली बाबू ने कहा कि पुस्तकालय ज्ञान के साथ ही क्रीड़ा व संस्कृति के विकास का केन्द्र भी होना चाहिए। साहित्यकारों का स्वागत सपा जिलाध्यक्ष हवलदार यादव ने किया। अतिथियों का परिचय राजीव रंजन तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रवीन्द्र नाथ राय व मौलाना उमैर साहब ने किया। इस मौके पर डॉ. बद्री प्रसाद, कन्हैया लाल, इन्द्रासन सिंह, अनिल चतुर्वेदी, रामबिहारी सिंह, प्रभाकर राय, सच्चिदानंद राय, रामसमुझ राय आदि उपस्थित थे।
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