भीषण गर्मी से पूर्व बेपानी हुई नदी
आजमगढ़: अभी गर्मी आई भी नहीं और जिले की ज्यादातर नदियां बेपानी होने लगी है। मई जून के महीने में हाल क्या होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। सबसे अहम है कि जल स्तर नीचे खिसकने से हैंडपंप और ट्यूबवेल का पानी कम हो गया है। अगर यही हाल रहा तो आने वाले समय में पानी के लिए त्राहि-त्राहि मचनी तय है।
बता दें कि जिले में 10 छोटी नदियां है। इनमें छोटी सरयू, गांगी, बेसो, उदन्ती, मझुई (मंजूषा), कुंवर, सिलनी, भैंसही, मंगई, लोनी आदि शामिल है। इसके अलावा तमसा और घाघरा बड़ी नदियां है। तमसा नदी बाराबंकी जिले के रुदौली तहसील की एक झील से निकलेर अम्बेडकर नगर होते हुए आजमगढ़ में प्रवेश करती है। जिले के विभिन्न क्षेत्रों से होते हुए बलिया में गंगा में मिलती है। इसकी लंबाई 89 किमी है। नदी का डिस्चार्ज 224. 64 क्यूसेक है। इसी तरह घाघरा नदी जिले में लगभग 41 किलोमीटर में बहती है। छोटी नदियों की बात करें तो कुंवर, सिलनी, मंजूषा के तमसा के संगम स्थलों पर ऋषियों की तपस्थली है इसलिए यह नदियां भी पौराणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। कुंवर नदी निजामाबाद, छोटी सरयू महराजगंज नगर पंचायत से होकर गुजरी हैं जबकि शेष नदियां ग्रामीण क्षेत्रों से होकर गुजरती हैं। इसमें मंजूषा सुल्तानपुर जिले से निकलकर अहरौला के शमसाबाद होते हुए दुर्वासा में तमसा में मिलती है। कुंवर नदी सुल्तानपुर जिले के ही दोस्तपुर के पास से निकलकर खानजहापुर, पलिया, फूलपुर होते हुए निजामाबाद पहुंचकर तमसा में मिल जाती है। गांगी नदी जिवली गोड़हरा के पास जिले में प्रवेश करती है और सिधौना, मेहनाजपुर होते हुए लगभग 40 किमी की दूरी तय कर गाजीपुर की सीमा में प्रवेश करती है। बेसो नदी जिले के मार्टीनगंज ब्लाक के एक ताल से निकलकर लगभग 60 किमी की दूरी तय कर गाजीपुर में प्रवेश करती है। उदन्ती नदी लालगंज ब्लाक के एक तालाब से निकलकर मेहनाजपुर तरवां होते हुए लगभग 30 किमी की दूरी तय कर गाजीपुर की सीमा में प्रवेश करती है। बघाड़ी नदी निजामाबाद के गन्धुवई बढ़या ताल से निकलकर लगभग तीन किमी बाद कुंवर नदी में मिल जाती है। मंगई नदी जौनपुर जिले के खेतासराय के पास से जनपद की सीमा में प्रवेश करती है और कवरा गहनी, छित्तेपुर, नोनारी, छाऊं, मुहम्मदपुर होते हुए गाजीपुर की सीमा में प्रवेश करती है। इसी प्रकार लोनी व भैंसही नदी भी जिले से निकलकर गाजीपुर की सीमा में प्रवेश करती है। एक घाघरा को छोड़ दें तो अन्य सभी नदियों की हालत बद से बदतर है। तमसा में औद्योगिक अपशिष्ट के साथ जहां नाला बहाया जा रहा है वहीं कुंवर, मंजुसा का उपयोग भी गटर के रूप में हो रहा है। अन्य नदियां तो सफाई के अभाव में नाला बन गई है। तमसा, मंजुसा, कुंवर और घाघरा को छोड़ दे तो ज्यादातर नदियां बेपानी होने की कगार पर है। नदियों की सफाई के लिये प्रशासन के पास भी कोई कार्य योजना नहीं है।
नहीं हो रही कोई कार्रवाई
नदियों को प्रदूषित करने वालों के विरुद्ध भी कोई कार्रवाई नही हो रही है। सबसे अहम बात है कि तमसा का पानी भी तलहटी में पहुंच गया है। ऐसी परिस्थिति में मई, जून के महीने में इस नदी के सूखने का खतरा बढ़ गया है। यदि नदियां बेपानी हुई तो पशु पक्षियों के लिये भी जल संकट खड़ा हो जायेगा। सबसे अहम बात है कि जिले का जल स्तर तेजी से नीचे भाग रहा है। भूगर्भ जल विभाग के अनुसार पिछले वर्षो में जिले का जल स्तर प्रतिवर्ष बीस सेमी नीचे भाग रहा है। इस बार यह और भी आगे बढ़ सकता है। इसके पीछे प्रमुख कारण जल संचयन की व्यवस्था न होना बतया जा रहा है। यदि ऐसा होता है तो पानी के लिये पेयजल के लिये त्राहि-त्राहि मचनी तय है।
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