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बूथ के खर्च का भी देना होगा ब्यौरा

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों पर आयोग कोई भी चाबुक कसने में कोर कसर न

By Edited By: Published: Sat, 21 Jan 2017 05:30 PM (IST)Updated: Sat, 21 Jan 2017 05:30 PM (IST)
बूथ के खर्च का भी देना होगा ब्यौरा
बूथ के खर्च का भी देना होगा ब्यौरा

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों पर आयोग कोई भी चाबुक कसने में कोर कसर नहीं कर रहा है। पहले 28 लाख की खर्च की सीमा निर्धारित कर दिया और अब मतदान के दिन बूथ पर पंडाल लगाकर पर्ची काटने के दौरान होने वाले खर्च को भी शामिल करने का निर्णय लिया है। इससे प्रत्याशियों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। प्रत्याशियों के समझ में नहीं आ रहा है कि वह किस तरह से चुनाव में अपना खर्च दिखाएंगे कि आयोग की कार्रवाई की जद में न आएं।

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अब तक के हुए विधानसभा व लोकसभा चुनाव में चुनाव आयोग टेंट, पर्ची काटने वालों, टेबुल, मेज, वर्कर आदि को चुनाव खर्च में नहीं जोड़ता था। विधानसभा चुनाव के प्रत्याशी भी हर बूथ पर निर्धारित दो लोगों को दिनभर पर्ची काटने, टेंट लगाने, मेज, कुर्सी आदि की धनराशि देकर काम चला लेते थे। जनपद में कुल 3500 बूथ है। दस विधानसभा सदर, गोपालपुर, सगड़ी, निजामाबाद, अतरौलिया, मेंहनगर, लालगंज, मुबारकपुर, दीदारगंज, फूलपुर पवई हैं। यानी हर विधानसभा में 350 बूथ बनाएं जाएंगे। अब जिला निर्वाचन अधिकारी को यह निर्धारित करना है कि बूथ पर खर्च की धनराशि कितनी आती है। ऐसे में प्रत्येक बूथ पर 1000 से 2000 के बीच ही खर्च निर्धारित किया जाएगा। ऐसे में हर प्रत्याशी का चार से पांच लाख का खर्च इसी में जुड़ जाएगा। इसकी वजह से उनकी भौंहे पूरी तरह तन गई है। प्रत्याशियों के समझ में ही नहीं आ रहा है कि वह किस तरह चुनाव के खर्चे को मेंटेन करेंगे। 20 हजार से अधिक का भुगतान चेक से करना है। सारे खर्च को ऑनलाइन प्रतिदिन दिखाना है। ऐसे में 28 लाख से ज्यादा खर्च भी नहीं कर सकते हैं। इस तरह के सवाल प्रत्याशियों के सामने बड़ी चुनौती के रूप में खड़ा हो गया है।

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'कंडीडेट बूथ कियोस्क' होगा बूथ का नाम

जिला कोषाधिकारी एसएन कुशवाहा ने बताया कि आयोग के निर्देश पर जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा जल्द ही रेट निर्धारित कर दिया जाएगा। इसके तहत दस बाई दस के पंडाल बनाएं जाएंगे। दो कुर्सी, एक टेबिल, नाश्ता की व्यवस्था, वर्कर की व्यवस्था का लेखा-जोखा रखना होगा। इस बूथ का नाम 'कंडीडेट बूथ कियोस्क' होगा। हर बूथ की पड़ताल की जाएगी। इसमें होने वाले खर्च को भी चुनाव खर्च में जोड़ा जाएगा।


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