उखाड़ फेकें मैकाले शिक्षा पद्धति की जड़ें : कुलपति
आजमगढ़ : नेहरू ग्राम भारतीय विश्वविद्यालय इलाहाबाद के कुलपति प्रो. कृष्ण बिहारी पांडेय ने कहा कि
आजमगढ़ : नेहरू ग्राम भारतीय विश्वविद्यालय इलाहाबाद के कुलपति प्रो. कृष्ण बिहारी पांडेय ने कहा कि वर्तमान समय में शिक्षा के गिरते हुए स्तर के लिए पूर्ण रूप से मैकाले शिक्षा पद्धति जिम्मेदार है। पूरे देश के लोगों को इसको समाप्त करने के लिए जड़ से उखाड़ फेंकना होगा और गुरुकुल शिक्षा को अपनाना होगा तभी शिक्षा का अस्तित्व देश में बच पाएगा।
शहर के चिल्ड्रेन कालेज स्थित बजरंग त्रिपाठी के आवास पर रविवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रो. कृष्ण बिहारी पांडेय ने कहा कि शिक्षा का व्यवसायीकरण आज सबके लिए ¨चता का विषय है। बुद्धिजीवी वर्ग खुद असमंजस में पड़ गया है। गुरुकुल शिक्षा में 10 हजार छात्रों को जोड़ने के बाद आचार्य की उपाधि दी जाती थी। यही नहीं आचार्य ही पालन पोषण भी करता था। उन्होंने कहा कि वर्ष 1947 में जब भारत स्वतंत्र हुआ तो मैकाले शिक्षा पद्धति कुंडली मारकर बैठ गया। अंग्रेजों ने मैकाले शिक्षा पद्धति से अंग्रेजी शिक्षा भारत में इसलिए शुरू करा दी कि उनका वर्चस्व कायम रहे। ऐसे में मैकाले की शिक्षा पद्धति को हटाना जरूरी है क्योंकि अंग्रेजी स्कूल में पढ़ने वाला व्यक्ति संस्कारवान नहीं बन सकता है। कुलपति ने कहा कि आज की शिक्षा लोगों को हविश की ओर ले जा रही है। कितने पैसे हो जाएं यह मंशा लोगों की सुरसा की तरह मुंह बाए खड़ी है। कितने भी पैसे लगे लेकिन मैकाले शिक्षा ही लोग पढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता व संपति की हविश दूर करें यही शिक्षा है। हम स्वयं में कुछ नहीं है इसका एहसास हो यही शिक्षा है। यह नहीं की आईएएस बनकर लोग जेल में जाएं इस तरह की शिक्षा की जरूरत नहीं है। कुलपति ने युवाओं को तरक्की के लिए तकनीकी जाल में न फंसने की हिदायत दी और कहा कि युवा तकनीकी युग में रह रहा है। खूब पढ़े पर इसका उपयोग अपने समाज व देश की तरक्की के लिए करे। किसी भी हालत में तकनीकी जाल में न फंसे। हर क्षण अपने को जानते रहे वह क्या है। परिवार, समाज और देश को जाने, ध्यान माता-पिता के कदम पर रहे, कदम कहीं भटके नहीं। इस अवसर पर रवीन्द्र नाथ त्रिपाठी, मनोज कुमार उपाध्याय, डा. अशोक मिश्रा, कृष्ण मोहन उपाध्याय, उमेश मिश्रा, मिस्टर, एसएस सुन्नी उपस्थित थे।