तर्पण::: जरुरतमंदों के मदद की मिली सीख
-बाबा स्व. जगदंबा प्रसाद पांडेय एडवोकेट ने ईमानदारी एवं कर्मठता की राह पर चलते हुए संस्कार, धर्म-कर्
-बाबा स्व. जगदंबा प्रसाद पांडेय एडवोकेट ने ईमानदारी एवं कर्मठता की राह पर चलते हुए संस्कार, धर्म-कर्म में आस्था रख जीवन भर दीन-दुखियों की सेवा में व्यस्त रहकर समाज में अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखी। उनके पास मुवक्किल ऐसे भी आते थे जिनके पास फीस देना तो दूर, खाने को पैसा तक नहीं रहता था। ऐसे लोगों को वह खाना तक खिलाते थे। तीन भाई में सबसे छोटा होने के कारण स्वाभाविक रूप से अधिक प्यार मिला। बाबा अक्सर कहा करते थे कि ईमानदारी एवं मेहनत के साथ धर्म-कर्म करते हुए समाजसेवा में कभी पीछे नहीं रहना चाहिए। उन्हीं की प्रेरणा से उनके आदर्शों पर चलते हुए उनके आशीर्वाद से समाजसेवा कर रहा हूं।
-अभिमन्यु पांडेय मन्नू, सिकंदरपुर बूढ़नपुर।
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- मां से मिली कुनबे को साथ लेकर चले की सीख
फोटो- 13-सी. व 14-सी.।
-मां स्व. यशोदा देवी गृहणी थीं। उन्होंने अपने जीवन में संघर्षों और चुनौतियों का सामना करते हुए परिवार को साथ लेकर चलने की सीख पूरे कुनबे को दी। उनका मानना था कि जीवन के किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए अपनों का सहयोग बहुत ही जरूरी है। जीवन में सफलता व असफलता परिवार के सहयोग पर ही निर्भर करती है। बाकी लोग तो असफलता के समय दूर चले जाते हैं। उनकी प्रेरणा की देन है कि मैं अध्यापक हुआ। मां भले ही हमारे बीच नही हैं लेकिन उनकी परिवार के साथ लेकर चलने और संघर्ष करने की सोच के चलते ही हम पांच भाइयों का परिवार विकास की तरफ पूर्णतया अग्रसर है।
-उदयराज यादव, राष्ट्रपति पुरस्कार सम्मानित शिक्षक, कोयलसा।