बात निकली है तो दूर तक जाएगी
आजमगढ़ : दिन शनिवार, नेहरू हाल का सभागार, मुद्दा था संसद ठप्प क्यों। मंच पर विभिन्न राजनीतिक दलों के
आजमगढ़ : दिन शनिवार, नेहरू हाल का सभागार, मुद्दा था संसद ठप्प क्यों। मंच पर विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि थे जवाबदेह और सामने बैठी जिले की लगभग 250 आम जनता इस पर सवाल कर रही थी। लगभग दो घंटे तक चले संवाद में यह निष्कर्ष निकला कि आजमगढ़ की इस बात का हिसाब लेना चाहती कि जनता के हित में क्या फैसला हो रहा है, विकास की क्या योजनाएं हैं और उस पर सरकार और विपक्ष का रवैया क्या है। बस यही और यही बात थी कि सदन में नूरा कुश्ती भले हो लेकिन जनता के लिए क्या हो रहा है यह सर्वाेपरि है।
संकल्प सोसायटी की सार्थक पहल पर आयोजित संवाद में पक्ष और विपक्ष ने स्वीकार भी किया कि निश्चित ही देश हित में संसद चलनी चाहिए। संसद के संचालन में आ रहे गतिरोध से देश के भविष्य के लिए खतरा है। वैसे राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने गतिरोध की सीधी जिम्मेदारी खुद के बजाय आम आदमी व ब्यूरोक्रेसी पर डाल दिया और जब आम जनता के सवालों के जवाब देने की बारी आई तो एक तरह से निरुत्तर नजर आए।
हां, यह अवश्य देखने को मिला कि मंच पर अपनी-अपनी पार्टी के कार्यकाल की उपलब्धियों को गिनाने के साथ विपक्ष पर सवाल दागे जा रहे थे। संसद ठप्प क्यों के कार्यक्रम में भाजपा, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी के जिम्मेदार नेता शामिल थे। भाजपा से जिलाध्यक्ष सहजानंद राय, पूर्व जिलाध्यक्ष प्रेमनारायण पांडेय, व जिला उपाध्यक्ष अजय ¨सह, सपा से जिलाध्यक्ष हवलदार यादव व पूर्व राज्यसभा सदस्य नंद किशोर यादव, कांग्रेस से तरफ से पूर्व जिलाध्यक्ष अर¨वद कुमार जायसवाल व प्रवीण ¨सह, बसपा से पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर व आम आदमी पार्टी की तरफ से प्रशांत गुप्ता संवाद में शामिल थे।
चंडेश्वर पीजी कालेज के प्रभारी प्राचार्य डा. वेदप्रकाश उपाध्याय, प्रमुख मुखराम यादव, शिब्ली कालेज की छात्रा आसमा शमीम, वीरेंद्र गुप्ता, तेजबहादुर यादव, हरिकेश विक्रम ¨सह, दिग्विजय ¨सह राठौर, सुधीर अग्रवाल सहित कई लोगों ने जनता की तरफ से प्रतिनिधियों से बेरोजगारी, महंगाई जैसे मूलभूत मुद्दों पर सवाल किए। अंत में राष्ट्रगीत से कार्यक्रम का समापन हुआ। संचालन डा. अनूप कुमार ¨सह यादव व डा. विनय कुमार ¨सह यादव ने संयुक्त रूप से किया। डा. पीयूष कुमार यादव ने स्वागत व अंत में आभार व्यक्त किया।
सवालों की बौछार, असहज दिखे प्रतिनिधि
प्रश्नकाल के दौरान तो सवालों की बौछार थी। कई सवालों के जवाब देने में प्रतिनिधि असहज दिखे। कुछ हद तक संसद के गतिरोध की जिम्मेदारी आम आदमी और ब्यूरोक्रेशी पर डालकर खुद का पल्ला झाड़ने का प्रयास किया। एक बात सभी पार्टियों के नेता सहमत रहे कि आज सदन में जो कुछ हो रहा है उसके लिए जिम्मेदार आम जनता है।
तर्क था कि अगर राजनीतिक पार्टियां गलती करती हैं और गलत लोगों को प्रत्याशी बनाती हैं तो लोकतंत्र में उन्हें चुनने की भूमिका रहे मतदाता की भी होती है कि ऐसे लोगों का चुनाव न करे। यह बात खुलकर सामने आई कि संसद न चलने से देश का बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है। देश की प्रगति रुकी हुई है तो आम जनता के हित में कोई काम नहीं हो पा रहा है।
व्यवधान को समझते हैं विशेषाधिकार : सुखदेव
बसपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर ने कहा कि आज प्रतिनिधि सदन में व्यवधान को अपना विशेषाधिकार समझ रहे हैं। तमाम प्रतिनिधि तो ऐसे हैं जिनमें बहस की दक्षता तक नहीं है। केवल संसद में ऐसे तीन सौ लोग मिल जाएंगे। आज संसद ठप होने की ¨चता कर रहे हैं कल ¨चता इस बात की होगी कि हमारा कोई प्रतिनिधि विचारक है कि नहीं है। राजनीतिक दल खबर बनने के लिए और फ्रंट पेज पर छपने के लिए व्यवधान उत्पन्न कर रहे हैं। ब्यूरोक्रेशी भी लोकतंत्र को अपिवत्र करने की साजिश में लगी है।
नैतिक मूल्य में आई गिरावट कारण : हवलदार
सपा जिलाध्यक्ष हवलदार यादव ने कहा कि राजनीति ही नहीं आज सभी क्षेत्रों में नैतिक मूल्यों में गिरावट आई है लेकिन कमेंट सिर्फ नेताओं पर होता है। केवल विधायिका ही व्यवस्था को नहीं बदल सकते। आम जनता को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। ब्यूरोक्रेशी पूरे सिस्टम को ध्वस्त करने में लगी है। उदाहरण दिया कि यदि जिला और महिला अस्पताल की हालत बदतर है तो क्या जिम्मेदार नेता है। संसद का न चलना दुर्भाग्यपूर्ण है। मुलायम ¨सह ने हमेशा कहा संसद चलनी चाहिए। इसके लिए उनके ऊपर भाजपा से मिलने का आरोप भी लगा लेकिन हमारा दृष्टिकोण साफ है। आज संसद न चलने से समूचे भारत का नुकसान हो रहा है।
चलनी चाहिए संसद : सहजानंद
भाजपा जिलाध्यक्ष सहजानंद राय ने पहले तो केंद्र सरकार की योजनाएं गिनानी शुरू कर दी। फिर कहा कि संसद न चलने के लिए विपक्ष जिम्मेदार है। वैसे यह भी स्वीकार किया कि सरकार और विपक्ष को इस गतिरोध का हल निकालना चाहिए और संसद चलनी चाहिए।
जीएसटी को ही मुद्दा बना रही भाजपा : प्रवीण
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रवीण ¨सह ने कहा कि जिस जीएसटी को लेकर आज संसद बाधित है यूपीए सरकार में उसी जीएसटी को भाजपा ने जनविरोधी करार दिया था। अब वह अच्छी कैसे हो गई। यदि सरकार सुझाव मानती तो अब तक विधेयक पास हो चुका होता। संसद चलनी चाहिए लेकिन सरकार को बहुमत का अहम छोड़ लचीला रुख अपनाना होगा और विपक्ष की भी सुननी होगी।
संसद संचालन को बने नियम : प्रशांत
आम आदमी पार्टी के नेता प्रशांत गुप्ता ने कहा कि यूपीए-टू के शासनकाल में विभिन्न मुद्दों को लेकर भाजपा ने संसद नहीं चलने दी थी। अब वही काम कांग्रेस कर रही है। सही मायने में ऐसा नियम बनना चाहिए कि एक साल में इतने दिन संसद चलना जरूरी है। बाकी दिन शोर मचाते हैं तो मचाते रहें। संसद चलेगा तभी कानून पास होंगे और कानून पास होंगे तभी जनसमस्याओं का समाधान होगा और देश तरक्की करेगा।