श्रद्धा पूर्वक मना गुरुग्रंथ साहिब का प्रकाशोत्सव
आजमगढ़ : नगर के श्री सुंदर गुरुद्वारा में रविवार को श्री गुरुग्रंथ साहिब जी का प्रकाश उत्सव बड़ी श्रद्धा एवं धूमधाम से मनाया गया। सुबह ज्ञानी सुनील सिंह ने सुखमनी सहिब का पाठ किया। इसके बाद कीर्तन दरबार सजाया गया, जिसमें सुबह 10.30 बजे से एक बजे तक बनारस नीची बाग के रागी जत्थे ने कीर्तन से सबको निहाल कर दिया। शबद-कीर्तन की समाप्ति के बाद अरदास की गई। कड़ाह-प्रसाद का वितरण किया गया। गुरु का अटूट लंगर चला, जिसमें काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। गुरुनानक सेवा समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सभी धर्मो के लोगों ने गुरु का उपदेश सुना और प्रसाद ग्रहण किया। ज्ञानी ने बताया कि अमृतसर के दरबार साहिब में वर्ष 1604 में 409 वर्ष पूर्व पहला प्रकाश भाई बुट्टा जी द्वारा कराया गया था। उन्हें वहां का पहला ग्रंथी भी नियुक्त किया गया। गुरुग्रंथ साहिब ने पांच गुरुओं की वाणी, 15 भक्तों, 11 भट्ट साहिबान एवं तीन गुरु सिख को शामिल किया गया। इस प्रकार यह सभी धर्मो की वाणी का रूप एकता एवं भाईचारा का संदेश देता अद्वितीय ग्रंथ है। वर्ष 1708 में गुरु गोविंद सिंह ने देखा कि समाज में देहधारी गुरुओं की ताकत गलत रास्ते पर जा रही है तो उन्होंने श्री गुरुग्रंथ साहिब को गुरु गद्दी दी। कहा कि अब कोई देहधारी गुरु नहीं होगा। हमें सारे उपदेश शब्द गुरु से ही लेना है। चाहे दुख हो चाहे सुख हो। इस मौके पर काफी संख्या में सिख समाज के लोग मौजूद थे।