ध्वनि प्रदूषण से होने वाली समस्याओं पर मंथन
ठेकमा (आजमगढ़) : ध्वनि प्रदूषण की वजह से अस्थाई और स्थाई दोनों ही प्रकार का बहरापन पैदा होता है। मानव के लिए 35 से 40 डेसीबल की आवाज सुरक्षित है। जबकि औद्योगिक मशीन जेनरेटर हार्न डीजे साउंड सिस्टम से निकलने वाला शोर 100 से 150 डेसीबल के बीच होता है।
उक्त विचार डा. दीपक रानी सिंह पर्यावरण शोध छात्रा ने सुशीला राय महिला महाविद्यालय की छात्राओं के बीच कही। छात्राओं को ध्वनि प्रदूषण के कारण होने वाली समस्याओं विशेषकर हार्ट संबंधित बीमारियों पर विशेष चर्चा की गई। छात्राओं का ध्वनि प्रदूषण के बाबत होने वाली हानियों के मद्देनजर यह बताया गया कि यदि आपके बगल में कोई कान फोड़ जेनरेटर चल रहा है और आप उससे बचना चाहते हैं तो इसकी सूचना निकटतम पुलिस स्टेशन को दे। संबंधित के खिलाफ ध्वनि प्रदूषण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। महाविद्यालय के प्रबंधक रामआसरे राय ने धन्यवाद ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम का संचालन डा. कमलेश पाठक ने किया। इस मौके पर परमानंद पांडेय, विवेका राय, विजय राय, संत प्रसाद सिंह, शिवकुमार यादव, डा. एलडी पाठक, रामसमुझ राय, शोभनाथ राय, डा. माधुरी सिंह, प्राचार्य अश्वनी सिंह आदि उपस्थित थे।