छोटे नोटों का अकाल, कैसे बने वरमाल
औरैया, जागरण संवाददाता : पीएम ने एक हजार व पांच सौ के नोट को बंद किये जाने की घोषणा क्या की लोगों
औरैया, जागरण संवाददाता : पीएम ने एक हजार व पांच सौ
के नोट को बंद किये जाने की घोषणा क्या की लोगों को रुपयों का मोल समझ आ गया। छोटे नोटों को खर्च कर बड़े नोटों को बचाने वाले लोग अब छोटे नोटों की तरफ ¨खचे चले जा रहे हैं। जनपद में पांच, दस, बीस, पचास व सौ के नोट की माला बनाये जाने का व्यवसाय सहालग के समय बड़े पैमाने पर चलता है। हालांकि यह भारतीय मुद्रा का अपमान है लेकिन जनपद के लोग शादियों में नोटों की माला को पहनना शान समझते हैं। नोटबंदी के बाद जनपद में इस व्यापार पर भी फर्क पड़ा है। लोग अब छोटे नोट किसी भी तरह से बचाना चाहते हैं तो ऐसे में नोटों की माला कैसे बनाई जाए।
सहालग के समय बढ़ती मांग
सहालग के चार-पांच महीने जनपद में इस माला की विशेष डिमांड रहती है। आसपास के जनपदों में भी औरैया से इस माला की सप्लाई होती है। इटावा, कन्नौज, फिरोजाबाद व उरई जालौन में बड़ी मात्रा में यहां से माला व्यापारियों की डिमांड पर जाती है। सबसे ज्यादा मांग इस माला की ग्रामीण क्षेत्रों से होती है। गांव के लोग दूल्हे को घोड़ी पर बैठाने से पहले इस माला को पहनाते हैं। दूल्हे भी इस माला को पहन कर अपनी शान ऊंची समझता है।
नोट बंद होने से पड़ा असर
एक हजार व पांच सौ के नोट बंद होने से इस व्यापार को करने वालों पर बड़ा असर पड़ा है। एक हजार व पांच सौ के नोट बंद होने से छोटे नोटों की मांग बढ़ गई है। ऐसे में इन्हीं नोटों की माला कैसे बनाई जाये। लेकिन व्यापारी अभी भी इस माला को बना रहे हैं। व्यापारी कल्लू विश्नोई का कहना है कि माला की मांग होती है तो बेंचनी पड़ेगी। उनका कहना है कि माला सबसे ज्यादा दस और बीस के नोट की ही बिकती है।
माला की कीमतों में हुई बढ़ोत्तरी
जब से नोट बंद हुए तबसे इस धंधे में भी फर्क पड़ा है। बिक्री भले ही कम हुई हो लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों से अभी भी इस माला की डिमांड काफी हो रही है। ऐसे में व्यापारियों ने कसर निकालनी शुरू कर दी है। पहले दस के नोट की माला 1100 की बिकती थी अब उसकी कीमत 1500 की हो गई है। वहीं 20 के नोट की माला कीमत अब बढ़कर 3000 रुपये की हो गई है। इसी तरह पचास व सौ के नोट की माला की कीमत बढ़ी है।