कमीशन के खेल में योजनाएं हो रही फेल
औरैया, जागरण संवाददाता : स्वरोजगार शुरू कर अपने पैरों पर खड़े होने की चाहत रखने वाले बेरोजगार बैंक से
औरैया, जागरण संवाददाता : स्वरोजगार शुरू कर अपने पैरों पर खड़े होने की चाहत रखने वाले बेरोजगार बैंक से ऋण न मिलने से सड़क पर हैं। कमीशन के खेल में रोजगार परक योजनाओं की फाइलें बैंकों में दम तोड़ रही हैं। इन कमीशनखोरों पर जनपद के उच्चाधिकारियों की भी लगाम नहीं है। इसके चलते मिनी कामधेनु की 18 और एनआरएलएम की 150 फाइलें धूल फांक रही हैं। ऋण मिलने की उम्मीद में आवेदक बैंकों के चक्कर लगा रहे हैं।
प्रदेश सरकार की काम धेनु योजना में दो लाभार्थियों का एक करोड़ का व मिनी कामधेनु में 15 का लक्ष्य था। इसमें प्रत्येक को 50 लाख का ऋण देने का प्राविधान है। इन दोनों योजनाओं का लक्ष्य तो किसी तरह पूरा हो गया। लेकिन माइक्रो कामधेनु योजना में 30 के सापेक्ष सिर्फ 12 लाभार्थियों को ही ऋण मिल सका है। इसमें लाभार्थी को 20 लाख का ऋण दिया जाता है। शेष 18 लाभार्थी ऋण न मिलने से डेयरी नहीं लगा पाए हैं। ऋण न मिलने के पीछे भी बैंक के अधिकारियों का खेल बताया जा रहा है। अधिकांश फाइलों में योजना के नियम कायदे के अनुसार कागजात पूरे हैं। लेकिन बैंक मैनेजरों के अनुसार वह फाइलें अधूरी हैं। इनके भी दोहरे माप दंड हैं। किसी लाभार्थी को केवल खेती पर ही ऋण स्वीकृत कर दिया गया है। तो किसी ने खेती और प्लाट के भी कागजात लगा दिए, तब भी उसे ऋण नहीं दिया जा रहा है। उन्हें प्लाट पर बाउंड्रीवाल बनाने का नियम बता दिया जाता है। लेकिन सच्चाई कुछ और है। इन सब के पीछे कमीशन का खेल बताया जाता है। जिस लाभार्थी ने कमीशन दे दिया उसका तो लोन अधूरे कागजों पर भी हो जाता है। कमीशन न देने वालों को रोज नए नियम बताकर टरका दिया जाता है।
स्वयं सहायता समूह को भी नहीं दे रहे लोन
यही हाल एनआरएलएम विभाग का है। इस विभाग से गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले ग्रामीणों को स्वयं सहायता समूह शुरू करने में मदद की जाती है। 30 जून 2016 तक की रिपोर्ट के अनुसार स्वयं सहायता समूह के लिए जनपद में 150 फाइलें बैंक में लंबित हैं। लाभार्थियों का आरोप है कि बैंक प्रबंधक नियम व शर्तें पूरी न करने की बात कहकर उन्हें दौड़ाते रहते हैं।
हताश होकर घर बैठ रहे आवेदक
अजीतमल क्षेत्र के निवासी शंकर व बेला के अर¨वद ने माइक्रो कामधेनु के तहत ऋण मिलने की उम्मीद ही छोड़ दी है। लाभार्थियों का आरोप है कि लगभग एक वर्ष से बैंकों व प्रशासनिक अधिकारियों के चक्कर लगाकर थक गए हैं। उन्हें रोज नए नियम बताकर दौड़ाया जा रहा है। यही हाल अजीतमल के संजीव कुमार है। उन्होंने प्रधानमंत्री मुद्रा ऋण योजना के तहत आवेदन किया था। लेकिन उन्हें बैंक ऋण नहीं दे रही है। इसकी उन्होंने जिलाधिकारी से शिकायत भी की। लेकिन इसका भी कोई असर नहीं हुआ।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
एलडीएम दूधनाथ ने बताया कि किसी से कोई कमीशन नहीं लिया जाता। शर्तें पूरी न होने से कुछ लोगों का लोन पास नहीं होता। यदि कोई मैनेजर रिश्वत मांगता है तो उनसे शिकायत करें। उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।