एनआरआई अंशुल हत्याकांड के सभी आरोपी बरी
औरैया, जागरण संवाददाता : नगर के बहुचर्चित एनआरआई अंशुल हत्याकांड के सभी पांच आरोपी आज न्यायालय से दो
औरैया, जागरण संवाददाता : नगर के बहुचर्चित एनआरआई अंशुल हत्याकांड के सभी पांच आरोपी आज न्यायालय से दोषमुक्त होकर बरी कर दिये गये। चार वर्ष पहले इस हत्याकांड का एक आरोपी राहुल तिवारी पुलिस अभिरक्षा से फरार चल रहा है।
घटना 27 जुलाई 2011 की है। नगर की घनी बस्ती के बीच स्थित बघाकटरा मोहल्ले में रहने वाले सेवानिवृत्त शिक्षक डीडी मिश्रा के घर में यह घटना घटी। डीडी मिश्रा की अमेरिका में रहने वाली पुत्र वधू श्रीमती अंशुल की घर के अंदर रहस्यमय ढंग से हत्या हो गई थी। हालांकि परिजनों ने थाने में यह रिर्पोट लिखाई थी कि 27 जुलाई 2011 को 3.30 बजे सुदक्षिणा मिश्रा पत्नी डीडी मिश्रा ने कूड़ा सड़क पर डालने के लिये मुख्य दरवाजा घर का खोला तभी मुंह पर अंगोछा बांधे चार बदमाश घर में घुस आये। उन्होंने सभी परिजनों के हाथ पैर बांध दिये व डीडी मिश्रा की पुत्र वधु अंशुल की हत्या कर लूटपाट की। नगर के मध्य इस तरह की बड़ी घटना और उस पर एनआरआई की हत्या ने प्रदेश की पुलिस के समक्ष सवाल खड़े कर दिये थे। पुलिस ने यह मामला डीडी मिश्रा की तहरीर पर लिख लिया, लेकिन एक दिन बाद ही पुलिस ने विवेचना में मामला उल्टा पाया तथा बताया कि अंशुल के पित गणेश शंकर दत्त, ससुर डीडी मिश्रा व सास सुदक्षिणा ने मिलकर अंशुल की हत्या करवाई। इसमें मृतका की ननद मीना दुबे पत्नी मीना दुबे पत्नी वीरेंद्र दुबे निवासी गो¨वदनगर औरैया पर यह आरोप लगाया कि उसने दो लाख रुपये की सुपारी ओम चौधरी व राहुल तिवारी ने मिलकर अंशुल की हत्या की। पुलिस ने ओम चौधरी व राहुल तिवारी, डीडी मिश्रा, सुदक्षिणा, गणेशशंकर दत्त, मीना दुबे के विरुद्ध धारा 147, 302, 149 आईपीसी की चार्जसीट कोर्ट में दी। यह मामला एडीजे अंगद प्रसाद की कोर्ट में चला। हांलाकि विचारण में मृतका की मां ने आरोपियों के विरुद्ध गवाही दी, लेकिन अन्य गवाह पक्षद्रोही घोषित हो गये। अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी मुकेश पोरवाल व बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता हृदयनारायण पाण्डेय व देवेंद्र त्रिपाठी आदि की बहस सुनने के बाद एडीजे अंगद प्रसाद ने सभी आरोपी ओम चौधरी, डीडी मिश्रा, सुदक्षिणा मिश्रा, गणेश शंकर दत्त, व मीना दुबे को दोषमुक्त कर बरी कर दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता महावीर शर्मा ने बताया कि मुकदमे का एक आरोपी राहुल तिवारी करीब दो वर्ष पहले जिला जजी परिसर से पुलिस कस्टडी से फरार हो गया था जो कि अभी तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ सका। हालांकि उसकी फाइल इन आरोपियों से अलग कर दी गई है।