पंचायतों में दिख रही विधान भवन की राह
औरैया, जागरण संवाददाता : तैयारी भले पंचायत चुनाव की हो रही है, पर सियासी दलों की मोर्चेबंदी बड़े लक्ष
औरैया, जागरण संवाददाता : तैयारी भले पंचायत चुनाव की हो रही है, पर सियासी दलों की मोर्चेबंदी बड़े लक्ष्य की तस्वीर दिखा रही है। सर्वाधिक हलचल है तो सत्ताधारी खेमे में, उसके नेता पंचायतों में पार्टी का ही नुमाइंदा बैठाने के लिए हर दावेदार को कसौटी पर परख रहे। सरगर्मी के बीच दावेदारों को बाखूबी भान हो चुका है कि बड़े सियासी आका की सरपरस्ती के बिना विजयश्री की उम्मीद बेमानी है। इसी से जिले की सियायत के धुरंधरों की ड्योढ़ी पर दावेदारों की हाजिरी लगातार बढ़ रही है।
जिला प्रशासन द्वारा पंचायत चुनाव के लिए सरगर्मी तेज कर दी गई है। ग्राम पंचायतों में निर्वाचक नामावलियों के पुनरीक्षण का कार्य किया जा रहा है। वहीं रैपिड सर्वे द्वारा ग्राम पंचायतों में ओबीसी की गणना कराई जा रही है। पंचायत चुनाव का आगाज अक्टूबर माह में होने की संभावना दिखाई दे रही है। इसकी वजह से अभी से ग्रामीण क्षेत्रों में दावेदारों की फौज दिखाई देने लगी है। दावेदार अपने आकाओं से संपर्क करने में लगे हुए हैं। स्थिति यह है कि कई ग्राम पंचायतों में तो अभी से ही चुनाव दिखाई देने लगा है।
बड़े नेताओं ने गोटें बिछानी की शुरू
ग्राम पंचायतों में अपने लोगों को बैठाने के लिए बड़े नेता अभी से ही अपनी गोटें बिछानी शुरू कर दी है। अपने लोगों से राय शुमारी जानने का कार्य भी बड़े नेताओं द्वारा किया जा रहा है। जिससे आगामी पंचायत चुनाव से पहले सभी को संतुष्ट कर उन्हें आइना दिखा दिया जाए जिससे वह उनके द्वारा बताए गए दावेदार के पीछे खड़े हो सके। वहीं बड़े नेता ग्रामसभा के आरक्षण को लेकर भी सजग दिखाई दे रहे हैं। जिसका परिणाम है कि जिला प्रशासन द्वारा किए जाने वाले आरक्षण पर भी उनकी निगाह जमी हुई है। सत्ता पक्ष के अधिकतर नेता अभी से ही अपनी ग्राम पंचायत को अपने हिसाब से आरक्षित कराने के लिए प्रयासरत दिखाई देते हैं।
गाइड लाइन आने पर होगा आरक्षण
वहीं जिला प्रशासन भी अभी आरक्षण के लिए कोई भी बात करने को तैयार नहीं है अधिकारियों का कहना है कि अभी शासन से कोई गाइड लाइन प्राप्त नहीं हुई है। ऐसे में आरक्षण की बात करना ही बेकार है। उनका कहना था कि रैपिड सर्वे का कार्य पूरा हो जाने के बाद तथा शासन से गाइड लाइन मिलने के बाद ही इस संदर्भ में कुछ कहा जा सकता है। हालांकि पूर्व में चक्रीय क्रम में आरक्षण की प्रक्रिया चलाई जाती है। जिसके आधार पर ग्राम पंचायतों में आरक्षण निर्धारित किया जाता था।
दावेदार भी साध रहे संपर्क
ग्रामीण क्षेत्रों के दावेदार गांव में वोटरों को लुभाने के साथ -साथ शहर में रहने वाले मतदाताओं व नेताओं से संपर्क साधे हुए हैं। जिसकी वजह से इन नेताओं के घरों पर भारी भीड़ जमा दिखाई देती है और बड़े नेता सभी को आश्वासन का प्रसाद भी वितरित कर रहे हैं। कई नेता तो इस पचड़े से बचने के लिए इधर-उधर बचते देखे जाते हैं।