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लाभार्थी 15 हजार, फिर भी सड़कों पर प्रसव

औरैया, जागरण संवाददाता : जनपद में जननी सुरक्षा योजना के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2012-13 की अपेक्षा लाभ

By Edited By: Published: Tue, 28 Apr 2015 01:10 AM (IST)Updated: Tue, 28 Apr 2015 01:10 AM (IST)
लाभार्थी 15 हजार, फिर भी सड़कों पर प्रसव

औरैया, जागरण संवाददाता : जनपद में जननी सुरक्षा योजना के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2012-13 की अपेक्षा लाभार्थियों की संख्या में कमी आई है। इसके बावजूद 15647 लाभार्थी दर्ज किए गए हैं। फिर भी जनपद में सड़कों पर प्रसव होते देखे जाते हैं। विभाग की नई व्यवस्था के अनुसार इस वित्तीय वर्ष में एकाउंटपेयी चेकें दिए जाने के कारण उगाही का खेल खत्म होते ही लाभार्थियों की संख्या में कमी आई है।

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वित्तीय वर्ष 2013-14 में कुल लाभार्थियों की संख्या 17 हजार 500 रही थी। जो कि लक्ष्य के सापेक्ष 101.2 प्रतिशत रहा था। जबकि वित्तीय वर्ष 2014-15 में लाभार्थियों की संख्या में 1900 के आसपास संख्या में कमी आई है और 15647 लाभार्थी दर्ज किए गए है। जबकि शासन द्वारा बीस हजार छह सौ 35 का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसके चलते 76.61 फीसद है। वहीं वित्तीय वर्ष 2012-13 में 81.70 फीसद रहा। इस वित्तीय वर्ष में अभी शुरुआत ही हुई है। हालांकि अभी तक संख्या बहुत कम है। विभागीय अधिकारियों व कर्मचारियों का कहना है कि शासन द्वारा व्यवस्था में परिवर्तन किया गया है। अब लाभार्थियों को एकांउटपेयी चेकें प्रदान की जा रही है। जिसके चलते लाभार्थियों की संख्या में कमी आई है। वहीं दूसरी ओर इस बार शासन द्वारा जननी सुरक्षा के लाभार्थियों को सीधे खातों में धनराशि भेजी जाएगी। जिसके चलते इस योजना के नाम पर विभिन्न चरणों में की जानी वाली उगाही पर ब्रेक लगा है। जिसका परिणाम है कि क्षेत्र में तैनात आशा बहुएं ने भी रुचि लेना कम कर दिया है। जिसका परिणाम है कि समय निकट आने के बाद पीड़ित के परिजन जब तक प्रसव पीड़ित महिला को अस्पताल तक लेकर आते हैं तब तक प्रसव हो जाता है। करीब आठ माह पूर्व जिला अस्पताल में ही गेट के अंदर प्रसव हो जाने की घटना हुई थी। बाद में अस्पताल कर्मियों द्वारा उसे अस्पताल के अंदर ले जाया गया। दिबियापुर सीएचसी में प्रसव तो अस्पताल में दर्ज किया गया, लेकिन प्रसव एक निजी चिकित्सालय में कराया जा रहा था। जिसकी शिकायत संबंधित आशा बहू ने जिलाधिकारी से की थी। जिस पर यह मामला पकड़ में आया था। वहीं अजीतमल व बिधूना में भी ऐसे कई मामले दिखाई दिए। सरकार की मंशा को स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी अपने स्वार्थ के लिए तार -तार करते दिखाई देते हैं। इस संबंध में मुख्य चिकित्साधिकारी डा. एनकेएस यादव का कहना है कि पिछले वित्तीय वर्ष में जननी सुरक्षा का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। इसका मतलब यह नहीं है कि मामले में कहीं ढिलाई बरती जा रही है। उनका कहना था कि किसी भी हालत में सड़कों पर प्रसव बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।


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