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'हलकू' का 'पूस' भी गया और 'चैत' भी

अजय शुक्ला, औरैया प्रेम चंद की कथा में पूस की एक रात में हलकू की एक ही फसल नीलगाय के झुंड ने बर्

By Edited By: Published: Sat, 28 Mar 2015 01:24 AM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2015 01:24 AM (IST)
'हलकू' का 'पूस' भी गया और 'चैत' भी

अजय शुक्ला, औरैया

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प्रेम चंद की कथा में पूस की एक रात में हलकू की एक ही फसल नीलगाय के झुंड ने बर्बाद कर दी थी। उस दर्द को कथाकार ने इस तरह उकेरा था कि अब भी पाठक की आंखें उसे पढ़ते समय नम हो आती हैं। यहां जिले में न जाने कितने हलकू ऐसे हैं जिनकी फसल पर पूस में 'पत्थर' पड़ गए तो चैत में 'कुरित' की बारिश ने गाज गिरा दी। इनके दर्द को पढ़ने वाला भले ही कोई न हो, लेकिन उनकी आंखों में आंसुओं की वही नमी जरूर है।

बिधूना का सुघर सिंह हो या गुसाई का पुरवा का किसान लाखन सिंह। मौसम की मार से बर्बाद हुई फसलों को देखकर दोनों के दिल टूटे और शायद इसी की शिकायत करने वह खुद ऊपर वाले की अदालत में जा पहुंचे। हालांकि किसानों का कहना यह है कि उनकी पीर न दुनिया वाले समझते हैं न ऊपर वाला। मौसम की बेरुखी से फसल पर पड़ने वाले असर का आंकलन करें तो पूस (सर्दियों) में भीषण सर्दी ने अन्नदाता की चना, सरसों और अरहर की फसल तबाह कर दी थी। तब बोई गई अगेती आलू की फसल पाला और कोहरा की चपेट में आकर झुलसा समेत कई रोगों से ग्रसित हो गई थी। असर यह पड़ा कि किसान की लागत भी नहीं निकल पाई थी। मौसम की मार से पस्त किसान अभी कमर भी सीधी नहीं कर पाया था कि चैत में मौसम का ऐसा कहर बरपा कि जिले के दो किसान उस सदमे को नहीं झेल पाए। गुसाई पुरवा के किसान लाखन सिंह ने तो खेत पर ही दम तोड़ दिया। फूस की झोपड़ी में मायूस बैठे गुसाई पुरवा के 95 वर्षीय राजा राम कहते हैं कि अपने इतने जीवन में उन्होंने 'राम' की इतनी टेढ़ी नजर कभी नहीं देखी।

कौन बांटेगा दर्द

कोढ़ में खाज यह है कि अन्नदाता को मौसम से मिले दर्द का कोई साझीदार भी नहीं है। प्रशासन यह मानने को तैयार ही नहीं दिखता कि किसानों को 50 फीसद से अधिक का नुकसान हुआ है। प्रशासन ने यह पेंच सिर्फ इसलिए डाला है कि कानूनन किसान को दैवीय आपदा का मुआवजा मिलना मुश्किल हो जाए। और तो और आला अधिकारी यह मानने तक को तैयार नहीं है कि जिले में किसी किसान की मौत फसल बर्बाद होने के सदमे से हुई है।

आंकड़ें एक नजर में

कुल कृषि भूमि - 200652 हेक्टेयर

कृषि योग्य भूमि - 141418 हेक्टेयर

सिंचित -109822 हेक्टेयर

बंजर - 6450 हेक्टेयर

परती -4559 हेक्टेयर

बीहड़ी -8212 हेक्टेयर

बारिश से बर्बाद - 6109 हेक्टेयर

प्रभावित किसान - 8398

चार करोड़ 83 लाख से लगेगा मरहम

बेमौसम बारिश से अन्नदाता को लगे घावों पर मरहम लगाने के लिए प्रशासन ने चार करोड़ 83 लाख की मुआवजा धनराशि का प्रस्ताव शासन को भेजा था। जिसे स्वीकृत कर लिया गया है। इसमें से औरैया तहसील को 50,अजीतमल तहसील को 28 और बिधूना को 22 लाख रुपए जारी किए जा चुके हैं। करीब डेढ़ करोड़ इस मद में शेष है। इसके अलावा दो करोड़ और शासन देने को तैयार है। 25 से 49 फीसद तक बर्बाद हुई फसलों का सत्यापन कर रिपोर्ट तैयार कराई जा रही है। सिंचित क्षेत्र के किसानों को 18 हजार प्रति हेक्टेयर और असिंचित क्षेत्र के फसली किसानों को नौ हजार रुपए प्रति हेक्टेयर राहत राशि मुहैया कराई जाएगी।

इन्द्रपाल उत्तम, अपर जिलाधिकारी


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