सजा बरकरार रहने से शेखर समर्थक मायूस
फालोअप दिबियापुर (औरैया) संवाद सहयोगी : औरैया के पूर्व बसपा विधायक शेखर तिवारी की उम्रकैद की सजा
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दिबियापुर (औरैया) संवाद सहयोगी : औरैया के पूर्व बसपा विधायक शेखर तिवारी की उम्रकैद की सजा उच्च न्यायालय द्वारा बरकरार रखे जाने पर उनके समर्थक मायूस नजर आए।
जैसे ही यह खबर दिबियापुर पहुंची, यहां चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। हाईकोर्ट से सजा में तब्दीली की उम्मीद लगाए समर्थक व परिजन मायूस दिखे। इस संबंध में पूर्व विधायक की पत्नी विभा तिवारी ने कहा कि सजा बरकरार रहने से परिजन सदमे में हैं, लेकिन वह न्याय मिलने को लेकर आश्वस्त हैं। सुप्रीम कोर्ट में अपील किए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि तनाव से उबरने के बाद आगे की रणनीति तय करेंगी। अप्पू तिवारी ने कहा कि न्यायपालिका पर भरोसा है। मामले को सर्वोच्च न्यायालय में ले जाया जाएगा। व्यवसाई सुशील तिवारी ने बताया कि बसपा सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने मामले की निष्पक्ष जांच नहीं कराई और सारा दोष पूर्व विधायक पर मढ़ दिया। चन्द्रशेखर यादव, रामू यादव आदि ने विधायक को दोषमुक्त किए जाने की मांग की।
मालूम हो कि 24 दिसंबर 2008 की रात गेल गांव में रह रहे पीडब्लूडी के अधिशासी अभियंता मनोज गुप्ता की मारपीट के दौरान मौत हो गई थी। अधिशासी अभियंता की पत्नी शशि गुप्ता ने विधायक शेखर तिवारी, उनकी पत्नी विभा तिवारी, तत्कालीन बसपा जिलाध्यक्ष योगेंद्र दोहरे, विनय तिवारी, मनोज अवस्थी, देवेन्द्र राजपूत, संतोष तिवारी, राम बाबू उर्फ पूती राजपूत, गनर पान सिंह व गजराज तथा तत्कालीन थानाध्यक्ष होशियार सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। वादी ने सुरक्षा का हवाला देते हुए मुकदमा लखनऊ स्थानांतरित करवा लिया था। मई 2011 में विभा तिवारी को ढाई वर्ष व बाकी सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की गई थी। जिस पर फैसला सुनाते हुए उच्च न्यायालय ने सजा जस की तस रखी।