छोटे-छोटे बच्चे बना रहे आतिशबाजी
बाबरपुर (औरैया) संवाद सूत्र : दो साल पहले बेला के गांव हिम्मतपुर में छोटी दीवाली पर एक अवैध पटाखा का
बाबरपुर (औरैया) संवाद सूत्र : दो साल पहले बेला के गांव हिम्मतपुर में छोटी दीवाली पर एक अवैध पटाखा कारखाने में आग लग जाने से आठ लोगों की मौत हो गई थी। वहीं हजारों रुपए का सामान जलकर राख हो गया था। उस दौरान पुलिस प्रशासन ने अवैध आतिशबाजी के कारोबार बंद करने का दावा किया था। हाल यह है कि लापरवाह नौकरशाही के चलते बाबरपुर में चोरी छिपे आतिशबाजी बनाने का कारोबार चल रहा है। खास बात यह है कि छोटे-छोटे बच्चे बारूद से अपने हाथों को काला कर रहे हैं। यदि कोई हादसा हो जाए तो सिर्फ चीत्कार व आह के अलावा कुछ नहीं निकलेगा।
दीवाली पर खुलेआम घनी बस्ती में आतिशबाजी की दुकानें न लगे साथ ही अवैध आतिशबाजी का कारोबार नहीं होने दिया जाएगा। इसके बावजूद हकीकत बता रही है कि सब कुछ हो रहा है और पुलिस आंख में पंट्टी बांधे हुए है। गौरतलब हो कि बाबरपुर में तीन दुकानों को अस्थाई लाइसेंस तथा अजीतमल में पांच दुकानों को अस्थाई लाइसेंस निर्गत किए गए हैं। नियमों की बात की जाए तो आतिशबाजी बनाने के काम में छोटे बच्चे नहीं लगाए जाएंगे, लेकिन बाबरपुर कस्बे में आतिशबाजी के कारोबार से छोटे बच्चे भी जुड़े हुए है। जिस उम्र में उनके हाथ में कलम और पीठ पर किताब का बोझ होना चाहिए। उन हाथों में बारूद की स्लाइड थमी हुई है। यह छोटे -छोटे बच्चे अनार व मस्ताब में बारूद भरने का काम कर रहे हैं। असल में यह काम काफी अर्से से क्षेत्र में चल रहा है जिस पर पुलिस की निगाह कभी गई ही नहीं। इस बाबत जब अजीतमल कोतवाली से संपर्क किया गया तो बताया गया एसडीएम व सीओ द्वारा मंगलवार को सघन चेकिंग अभियान चलाया गया था। उस दौरान ऐसा कोई नजारा नहीं दिखा था।
चेकिंग पर भी उठे सवाल
बात समझ से परे है कि एसडीएम व सीओ ने किस तरह सघन चेकिंग अभियान चलाया कि उनकी निगाह से बारूद को भर रहे छोटे -छोटे बच्चे बच गए। इससे साफ जाहिर है कि अभियान के नाम पर केवल खानापूर्ति हो रही है। जब हादसा घटित हो जाएगा उसके बाद इन बंद आंखों को रोशनी मिल सकेगी।