सालता है दोस्त जैसे भाई के जाने का दर्द
औरैया, जागरण संवाददाता : बारिश की रात में 12 साल के बच्चे की हालत बिगड़नी शुरू हुई। पास खड़ा महज एक साल बड़ा भाई ठीक से समझ भी नहीं पाया कि परिजन आनन-फानन उसे लेकर अस्पताल की ओर भागे। भगवान से प्रार्थना की कि दोस्त जैसा उसका भाई सकुशल घर वापस आ जाए, लेकिन शायद भगवान ने उसकी प्रार्थना नहीं सुनीं और भोर की पहली किरण के साथ एक अबूझ अंधेरा परिवार के हिस्से में आ ही गया।
पूरा वाकया बताते बताते सुबक पड़े जोगीपुर के संजय बाबू ने बताया कि छोटा भाई विपिन एक दिन गांव स्थित मंदिर पर बैठा कुछ खा रहा था, तभी एक कुत्ते ने उस पर हमला कर दिया। उसके पैर और हाथ में कई जगह जख्म आए। लोगों ने सलाह दी कि जख्म पर लाल मिर्ची का लेप कर दिया जाए। ऐसे ही घरेलू नुस्खों से उपचार शुरू कर दिया गया। संजय का कहना है कि भाई की हालत सुधरती नजर आई, लेकिन भावी को कुछ और ही मंजूर था। घटना के 20वें दिन सभी लोग छत पर लेटे थे। इसी बीच भाई की हालत बिगड़ी और अस्पताल ले जाते वक्त उसने दम तोड़ दिया। शव वापस आया तो परिजन बदहवास हो उठे। आज भी घटना को लेकर उनके मन में दहशत है। संजय ने बताया कि अब वह कुत्तों को लड़ता और भौंकता देखकर कांप उठता है। यह दर्द केवल संजय का नहीं है। जनपद में कई ऐसे लोग हैं जिन्होंने खतरनाक रैबीज वायरस के चलते अपनों को खोया है। शहाब्दा के अन्नू का पांच वर्षीय पुत्र तीन साल पहले इसी इंफेक्शन की चपेट में आकर चल बसा। आज भी यह परिवार बेटे के गम से निजात नहीं पा सका है। बूढ़ादाना के राम विशाल बताते हैं कि करीब छह माह पूर्व उनके ताऊ को कुत्ते ने काट लिया था। घरेलू उपचार और झाड़ फूंक के जरिए कोशिश जरूर हुई, लेकिन जान नहीं बचाई जा सकी। स्थिति की भयावहता इसी बात से समझी जा सकती है कि बीते 15 दिन में जिला अस्पताल में 453 लोगों को रैबीज की वैक्सीन दी गई। यह आंकड़े सिर्फ जिला अस्पताल के हैं। जनपद में यह संख्या 1000 से ऊपर बताई जाती है।
ढर्रे पर चल रही एआरवी क्लीनिक
जिला अस्पताल में एंटी रैबीज वैक्सीन की सुविधा जरूर है, लेकिन यह मामला ढर्रे पर ही चल रहा है। मरीजों का कहना है कि इंजेक्शन लगवाने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती है। आलम यह है कि जिला अस्पताल में ही जगह-जगह रैबीज के वाहक श्वान टहलते नजर आते हैं।
सभी सीएचसी में सुविधा
सीएमएस डा.एनके मिश्र ने बताया कि जिले की सभी सीएचसी पर एंटी रैबीज वैक्सीनेशन की सुविधा उपलब्ध है। सभी केंद्रों पर इसके इंजेक्शन नि:शुल्क लगाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि उच्चाधिकारियों के निर्देश पर वैक्सीनेशन डे पर शिविर लगाया जाएगा।
बंदर और कुत्तों से रहें सावधान
डा. पंकज का कहना है कि बंदर कुत्ता सियार समेत सभी कैनाइन जानवर रैबीज के वाहक हैं। इनसे बचाव व सुरक्षित दूरी ही बेहतर है। इनके काटने पर तत्काल घाव की सफाई करें और अस्पताल जाकर इंजेक्शन लगवाएं।