टूट गईं उम्मीदें, नहीं हुई बारिश
औरैया, जागरण संवाददाता : चार दिन पहले जब रिमझिम बारिश हुई तो किसानों को उम्मीद थी कि शायद इंद्रदेव मेहरबान है, लेकिन उनकी इस मंशा पर पानी फिर गया है। पिछले कई दिनों से गर्मी का प्रकोप बढ़ा है। ऐसे में अब अन्नदाता को भी लगने लगा है कि उनकी फसल को सूखने से कोई नहीं बचा सकता। बीहड़ क्षेत्र में स्थिति बेहद खराब है यहां पानी की कमी के कारण सैकड़ों एकड़ फसल बर्बादी की कगार पर खड़ी है।
गौरतलब है कि इस साल बादलों की बेरुखी के चलते सूखे जैसे हालात खड़े हो गए हैं। सावन में पानी नहीं बरसा तो वहीं भादो भी बिना बरसे निकल गया। पिछले साढ़े तीन महीने में महज 148 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई है जो कि सामान्य से 300 मिलीमीटर कम है। चार दिन पहले हल्की बारिश हुई तो किसानों के चेहरे जागे थे। माना जा रहा है यदि दस दिन मौसम साथ दे देता है तो सूखे की चपेट से फसलों को बचाया जा सकता है। जहां कानपुर व उसके आसपास के क्षेत्रों में जोरदार बारिश हुई तो वहीं औरैया में बादल बिना बरसे निकल गए। अब तो सूर्यदेव के तेवर तल्ख नजर आ रहे हैं। पिछले सप्ताह जिले में 11 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की गई। उस दौरान धान, बाजरा व ज्वार की फसल में किसानों ने बारिश की उम्मीद में यूरिया खाद फेंक कर अपना काम शुरू कर दिया। उनके इस काम पर बारिश ने पानी फेर दिया। पानी न बरसने के खाद बेकार हो गई है और उसका असर खड़ी फसल पर पड़ा है।
रात में ओस पड़ने से बारिश की उम्मीद खत्म : अश्विन माह शुरू हो चुका ऐसे में प्रकृति ने भी बदलाव लेना शुरू कर दिया है। रात में ओस गिरने से उम्मीद जताई जा रही है कि अब बारिश शायद ही हो। मौसम विभाग के मुताबिक रात में ओस के लिए जो जरूरी तापमान है वह मिलने लगा है। देर रात तापमान 22 से 24 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाता है। ऐसे में ओस बनना शुरू हो गई है।
मौसम विभाग का अनुमान : मौसम विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इस महीने 30 एमएम बारिश और हो जाती तो फसलों को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता था। फिलवक्त हवा बदली हुई है। इस लिहाज से मौसम में बड़े परिवर्तन की संभावना बेहद कम है।