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शौचालय में गंदगी, नरक हो गई जिंदगी

By Edited By: Published: Tue, 02 Sep 2014 01:04 AM (IST)Updated: Tue, 02 Sep 2014 01:04 AM (IST)

(उदाहरण एक)

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हीरपुर प्राथमिक विद्यालय के शौचालयों की स्थिति यह है कि अंदर जितनी गंदगी है उससे कहीं ज्यादा बाहर गंदगी पसरी दिखती है। इससे छात्र-छात्राएं जरूरत पड़ने पर शौचालयों जाने से भी कतराते हैं, मजबूरन छुंट्टी लेकर घर जाना पड़ता है।

(उदाहरण दो)

भाग्यनगर ब्लाक के उच्च प्राथमिक विद्यालय उमरी में बेशक बालक-बालिकाओं के लिए अलग-अलग शौचालय का इंतजाम है, लेकिन दोनों में अर्से से ताला लटका है। हेडमास्टर कहती हैं कि चाबी खो जाने से समस्या है। दूसरी चाबी बनाने वाला कोई मिल ही नहीं रहा। इसका खामियाजा भी छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है। खुले में लघु या दीर्घशंका को जाना पड़ता है।

(उदाहरण तीन)

सहार ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय असेनी में शौचालय का इंतजाम नहीं है। यहां बड़ी दिक्कत यह है कि फ्रेश होने को छात्र-छात्राओं को घर या खेतों की ओर दौड़ लगानी पड़ती है। विद्यालय प्रबंध समिति व हेडमास्टर कई बार लिखा पढ़ी कर अधिकारियों को अवगत करा चुके हैं पर आज तक सुध नहीं ली गई।

औरैया, जागरण संवाददाता : यह तो बानगी भर है सरकारी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कई ऐसे हैं जिनमें इसी तरह की दिक्कतें हैं। कहीं बालकों के लिए शौचालय का अभाव है तो कहीं बालिकाओं के शौचालय नहीं हैं। जिले भर में 1063 प्राथमिक विद्यालय हैं इनमें से 64 ऐसे हैं जिनमें बालकों के शौचालय का इंतजाम नहीं है। जबकि 83 प्राइमरी स्कूलों में बालिकाओं के शौचालय नहीं हैं। कुल 39 विद्यालय ऐसे भी हैं जिनमें न तो बालकों के शौचालय हैं और न ही बालिकाओं के शौचालय बने हैं। इसी तरह जिले में 453 उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं, तीस विद्यालयों में बालकों व 47 में बालिकाओं के शौचालय का अभाव है। 30 उच्च प्राथमिक विद्यालय ऐसे भी हैं जिनमें किसी तरह का शौचालय बना ही नहीं है। जहां हैं भी उनमें से कई ऐसे हैं जिनमें गंदगी का अंबार है। कुछ में दरवाजे टूटे हैं तो कुछ ऐसे भी हैं जिनमें गांव के लोग ईंटें उखाड़ ले गए हैं। साफ -सफाई के लिए किसी में कर्मचारी नहीं है। गांव में तैनात सफाई कर्मचारियों को ही यहां साफ -सफाई करनी है, लेकिन प्रधानाध्यापकों का आरोप है कि सफाई कर्मी विद्यालयों में झांकने तक नहीं आते। मेंटीनेंस के लिए अतिरिक्त बजट भी नहीं है। विद्यालय मेंटीनेंस के लिए साल में पांच हजार रुपए का अनुदान मिलता है। छोटी पूरी टूट फूट इसी से ठीक करानी होती है।

इनसेट-

निर्देश के बाद भी नहीं बनवाए शौचालय

औरैया : वर्ष 2006 से पहले बने विद्यालयों में से जिनमें शौचालय नहीं हैं उनमें पंचायती राज विभाग को शौचालय का निर्माण कराने के निर्देश जिलाधिकारी की ओर से पूर्व में दिए गए थे, लेकिन इस विभाग ने एक भी शौचालय नहीं बनवाया। विभागीय स्तर से इसको लेकर लिखा पढ़ी कई बार की गई पर कुछ नहीं हुआ।

फिर भी बदहाल : लोकसभा चुनाव के दौरान अधिकतर विद्यालयों के शौचालय दुरुस्त कराए गए थे, लेकिन मौजूदा में उनकी स्थिति देखकर ऐसा नहीं लगता कि अर्से से कभी ठीक कराए गए हो।

सभी में बनेंगे शौचालय : जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी राजेश कुमार श्रीवास का कहना है कि शासन स्तर से उन सभी विद्यालयों में शौचालय स्वीकृत हो गए हैं जिनमें फिलहाल नहीं हैं या बालक अथवा बालिका के शौचालयों का अभाव है। जल्द ही बजट ट्रांसफर किया जाएगा और कार्य शुरू कराया जाएगा। साफ-सफाई और मेंटीनेंस के लिए पहले ही दिशा निर्देश जारी किए जा चुके हैं।


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