सूर्यदेव की तपिश में झुलस रहीं फसलें
औरैया, जागरण संवाददाता : सूर्यदेव की तल्खी से किसानों की मेहनत डूबने का खतरा खड़ा है। धान की फसल तो बर्बाद हो रही है, बाजरा मक्का अरहर व तिल की फसलें भी झुलस रही है। खरपतवार की समस्या भी किसानों के लिए मुसीबत बन गई है।
बेहद कम बारिश के चलते किसी तरह धान की रोपाई करने में सफल रहे किसानों के सामने अब इस फसल को जिंदा रख पाने की समस्या खड़ी हो गई है। सूरज के तेवर लगातार तल्ख हो रहे हैं और बारिश के नाम पर अर्से से छींटे तक नहीं पड़े हैं। इससे धान की फसल पीली पड़ गई है इसके साथ ही किसानों के चेहरे भी पीले पड़ने लगे है। बाजरा की फसल भी झुलसती नजर आ रही है तो अरहर की फसल भी बर्बाद की कगार पर है। फिलहाल मक्का व तिल की फसल पुष्पावस्था में है इसके समुचित विकास के लिए 24 से 30 डिग्री सेल्सियस के मध्य तापमान रहना चाहिए, लेकिन फिलहाल स्थिति यह है कि पारा 39 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच रहा है। बेशक किसान धान समेत अन्य फसलों को बचाने के लिए मशक्कत कर रहे हैं। बावजूद इसके फसलों पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डा. एस के सिंह ने बताया कि सिर्फ फसल को पानी मिल जाने से ही उसका समुचित विकास नही होता। वातावरण भी उसके अनुकूल होना चाहिए तापमान के साथ आर्द्रता भी लगातार बढ़ रही है जिससे फसलों पर खासा संकट है। उप कृषि निदेशक डा. बनारसी यादव ने बताया कि सब्जी की फसलों पर सर्वाधिक नुकसान है खासतौर से गोभी, बैंगन की फसल में नुकसान की संभावना सबसे ज्यादा है। गेंदा की फसल के लिए भी यह मौसम बेहद प्रतिकूल है। कृषि विज्ञान केंद्र के मौसम विशेषज्ञ डा. संदीप कुमार सिंह ने बताया कि फिलहाल 12 सितंबर तक अच्छी बारिश की संभावना नहीं है ऐसे में तय है कि फसलों से किसान जो उम्मीद लगाए हैं वह बिखर सकती है।