मच्छरों का आतंक, बचने का कोई जुगाड़ नहीं
औरैया, जागरण संवाददाता : सुबह हो या शाम चैत्र मास में मच्छरों ने इस दर अपनी आमद दर्ज कराई है कि लोगों को चैन नहीं मिल रहा है। सारे जतन इनके डंक के आगे फेल हैं। मच्छरों की बढ़ती संख्या के कारण मच्छर जनित रोगों से लोग परेशान हैं। जिला अस्पताल में मलेरिया के रोगियों की संख्या बढ़ रही है। इधर नगर पालिका द्वारा फागिंग मशीन नहीं चलाई गई, जिसके चलते घनी बस्तियों में मच्छरों का खासा प्रकोप है।
हालत यह है कि शाम होते ही पूरा शहर मच्छरों की चपेट में आ जाता है। मच्छर भी ऐसे जिन्हें देख कर आश्चर्य होता है। लोगों का कहना है इतने बड़े और हठी मच्छर उन्होंने पहले कभी नहीं देखे। अगरबत्ती जला कर रखो चाहे बिजली की मशीन चला दो मच्छर पीछा छोड़ने को तैयार नहीं होते। दिन भर थक हार कर घर लौटने के बाद दो घड़ी का चैन भी नसीब नहीं होता। मच्छरों के इस आतंक का हासिल यह है कि मच्छरदानी की बिक्री खूब बढी है। निर्माताओं ने भी लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए तरह तरह की मच्छरदानियां ईजाद की हैं। सौ रुपए से लेकर एक हजार रुपए की रेंज में उपलब्ध हैं और ग्राहक भी खूब मिल रहे हैं। उधर डा. एमयू खान की भी सलाह यही है कि मच्छरों से बचाव कई तरह की बीमारियों से दूर रखता है। मच्छरदानी सबसे सुरक्षित संसाधन है इसका शरीर पर कोई साइड इफेक्ट नहीं होता।
क्या कहते हैं चिकित्सक : वरिष्ठ चिकित्सक डा. एमयू खान का कहना है कि जिले को मलेरिया एपेडमिक सेंटर माना गया है। ऐसे में मच्छरों के प्रकोप से मलेरिया फैलने की संभावना सबसे अधिक रहती है। बचाव के लिए लोग नीम का धुआं या अन्य प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करें। मोस्कीटो रेप्लेंट तथा स्टिक का उपयोग जितना कम हो सके किया जाए।