मुंसिफ न्यायालय के अभाव में क्षेत्रवासी परेशान
मंडी धनौरा : तहसील बने डेढ़ दशक से अधिक समय बीतने के बावजूद अभी तक क्षेत्रवासी मुंसिफ न्यायालय को जू
मंडी धनौरा : तहसील बने डेढ़ दशक से अधिक समय बीतने के बावजूद अभी तक क्षेत्रवासी मुंसिफ न्यायालय को जूझ रहे हैं। मजबूरन उन्हें हसनपुर एवं अमरोहा के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
मंडी धनौरा को सन 1991 में तहसील का दर्जा मिला। डेढ़ दशक से अधिक का समय बीत गया लेकिन अभी तक तहसील मुख्यालय पर मुंसिफ न्यायालय की स्थापना नहीं हुई है। अधिवक्ताओं द्वारा भी समय-समय पर इसकी मांग उठती रही है। कई बार आंदोलन एवं हड़ताल भी कर चुके हैं लेकिन अभी तक हालात जस के तस हैं। लोगों को अपने मुकदमों की सुनवाई के लिए हसनपुर व अमरोहा न्यायालय में जाना पड़ता है। इससे उनके धन एवं समय दोनों अधिक खर्च होते हैं।
गंगा खादर क्षेत्र में अभी भी सवारी का भी अभाव है। इसके चलते वादकारियों को सुबह-सवेरे ही न्यायालय के लिए निकलना पड़ता है । रात्रि में ही वापस लौट पाते हैं। सर्दी के मौसम में यह स्थिति और जटिल हो जाती है। नियमानुसार हर तहसील मुख्यालय पर मुंसिफ न्यायालय की स्थापना होनी चाहिए। बावजूद इसके क्षेत्रवासियों की वर्षों से चली आ रही यह मांग अभी भी ठंडे बस्ते में पड़ी है।
शासन को इसका प्रस्ताव भेजा जा चुका है। वहीं से इसका निस्तारण हो सकेगा। स्थानीय स्तर से यही किया जा सकता था।
हर्षवर्धन श्रीवास्तव, उपजिलाधिकारी मंडी धनौरा।