Move to Jagran APP

धूप ने हाल पूछा, तालाब खूब रोए

दिलीप सिंह, अमेठी: अजब विडंबना है कि जिन्हें जल ने जीवन दिया, आज वही उसके वजूद के दुश्मन बन बैठे हैं

By Edited By: Published: Sat, 18 Apr 2015 04:50 PM (IST)Updated: Sun, 19 Apr 2015 05:23 AM (IST)

दिलीप सिंह, अमेठी: अजब विडंबना है कि जिन्हें जल ने जीवन दिया, आज वही उसके वजूद के दुश्मन बन बैठे हैं। कहते हैं जब अपने आघात करें तो फिर बच पाना मुश्किल होता है। कुछ ऐसा ही जल स्त्रोतों के साथ हो रहा है। जिले के तालाबों का अस्तित्व मुश्किल में है तो गौरवशाली अतीत की गवाह रहे सरोवरों का अस्तित्व अब सवालों के घेरे में आ गया है। जो तालाब कल तक यहां के वाशिंदों की प्यास बुझाते थे, आज खुद प्यासे हैं। उपेक्षा के चलते जमीनी पानी का नाता भी टूट रहा है। जोहड़, बावड़ियां, झीलें व कुओं की भी दशा कुछ ऐसी हो चली है कि शायद ही अब इनके पानी से किसी की प्यास बुझती हो। अपनों ने इतनी दगा दी कि अधिकांश का वजूद ही खत्म हो गया और जो हैं भी उनकी हालत बद से बदतर हो चली है। अगर सब कुछ ऐसे ही चलता रहा तो जल्द ही कुएं व बावलियां तो किताबों के पन्नों में सिमट कर रह जाएंगे। ऐसा भी नहीं है कि जल स्त्रोतों को बचाने का प्रयास नहीं किया गया हो लेकिन जो कुछ भी हुआ वह और दुखदायी है। कागजों में एक नहीं कई अभियान चले लेकिन उनका परिणाम कुछ ऐसा रहा कि पिछले तीन दशकों में बहुत कुछ बदल गया। तालाब खत्म हो गए तो बहुत उसकी आड़ में मालामाल भी हो गए। जिले में कहने को तो तालाबों की संख्या 2,354 हैं और कुएं 4,321 लेकिन हकीकत यह है कि न तो अब कहीं तालाब दिखते हैं और न ही कुओं का अस्तित्व ही बचा है। शादी-विवाह में कुओं की पूजा भी अब सिर्फ रस्म अदायगी भर रह गई है। जिले के 625 तालाबों को आदर्श तालाब के रूप में विकसित करने के लिए मनरेगा के तहत करोड़ों रुपये बहाए गए पर शायद ही जिले का कोई ऐसा तालाब हो जिसे हम आदर्श कह सकें। प्रेम के कवि मलिक मोहम्मद जायसी की जन्म स्थली जायस से तो मानो पानी रूठ ही गया है। पीने के पानी के लिए लंबी-लंबी कतारें अमेठी के विकास व जल स्त्रोतों के संरक्षण की कहानियां बयां करने वाली हैं। ऐसे में जब धूप ने इन जल स्त्रोतों से इनका हाल पूछा तो यह अपनों द्वारा दी गई दगा याद कर रो पड़े।

loksabha election banner

---------

अमेठी में भूजल स्तर की वर्तमान स्थिति

ब्लाक जलस्तर घटाव प्रति वर्ष

गौरीगंज 700 22

अमेठी 725 23

शाहगढ़ 884 28

जामो 850 27

भादर 900 30

संग्रामपुर 1022 32

भेटुआ 840 29

जगदीशपुर 954 31

शुकुलबाजार 1005 33

मुसाफिरखाना 965 30

बहादुरपुर 850 27

तिलोई 956 29

सिंहपुर 970 30

नोट-सभी आंकड़े सेंटीमीटर में

--

लापरवाह हैं जिम्मेदार

दो साल पहले इन सभी ब्लाकों के 427 तालाबों में रिचार्ज पिट बनाने की योजना बनाई गई थी लेकिन बजट के अभाव में पूरी योजना फ्लाप हो गई। इसके चलते पानी का संचय तो नहीं हो सका लेकिन पिछले वर्ष हुई अच्छी बरसात के बाद विभाग ने फाइलों में सबकुछ दुरुस्त कर दिया लेकिन एक बार फिर जब मौसम ने इस वर्ष दगा दिया तो आंकड़ों की पोल खुल गई।

--

जल स्त्रोतों को बचाने की हर संभव कोशिश की जा रही है। कुओं को तो लोग खुद ही पाट ले रहे हैं। तालाबों व झीलों के रखरखाव की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों को सौंपी गई है। साथ ही मुख्यमंत्री जल बचाओ अभियान को प्राथमिकता से लागू करने की योजना पर भी तेजी से काम हो रहा है।

जगतराज

जिलाधिकारी, अमेठी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.