धूप ने हाल पूछा, तालाब खूब रोए
दिलीप सिंह, अमेठी: अजब विडंबना है कि जिन्हें जल ने जीवन दिया, आज वही उसके वजूद के दुश्मन बन बैठे हैं
दिलीप सिंह, अमेठी: अजब विडंबना है कि जिन्हें जल ने जीवन दिया, आज वही उसके वजूद के दुश्मन बन बैठे हैं। कहते हैं जब अपने आघात करें तो फिर बच पाना मुश्किल होता है। कुछ ऐसा ही जल स्त्रोतों के साथ हो रहा है। जिले के तालाबों का अस्तित्व मुश्किल में है तो गौरवशाली अतीत की गवाह रहे सरोवरों का अस्तित्व अब सवालों के घेरे में आ गया है। जो तालाब कल तक यहां के वाशिंदों की प्यास बुझाते थे, आज खुद प्यासे हैं। उपेक्षा के चलते जमीनी पानी का नाता भी टूट रहा है। जोहड़, बावड़ियां, झीलें व कुओं की भी दशा कुछ ऐसी हो चली है कि शायद ही अब इनके पानी से किसी की प्यास बुझती हो। अपनों ने इतनी दगा दी कि अधिकांश का वजूद ही खत्म हो गया और जो हैं भी उनकी हालत बद से बदतर हो चली है। अगर सब कुछ ऐसे ही चलता रहा तो जल्द ही कुएं व बावलियां तो किताबों के पन्नों में सिमट कर रह जाएंगे। ऐसा भी नहीं है कि जल स्त्रोतों को बचाने का प्रयास नहीं किया गया हो लेकिन जो कुछ भी हुआ वह और दुखदायी है। कागजों में एक नहीं कई अभियान चले लेकिन उनका परिणाम कुछ ऐसा रहा कि पिछले तीन दशकों में बहुत कुछ बदल गया। तालाब खत्म हो गए तो बहुत उसकी आड़ में मालामाल भी हो गए। जिले में कहने को तो तालाबों की संख्या 2,354 हैं और कुएं 4,321 लेकिन हकीकत यह है कि न तो अब कहीं तालाब दिखते हैं और न ही कुओं का अस्तित्व ही बचा है। शादी-विवाह में कुओं की पूजा भी अब सिर्फ रस्म अदायगी भर रह गई है। जिले के 625 तालाबों को आदर्श तालाब के रूप में विकसित करने के लिए मनरेगा के तहत करोड़ों रुपये बहाए गए पर शायद ही जिले का कोई ऐसा तालाब हो जिसे हम आदर्श कह सकें। प्रेम के कवि मलिक मोहम्मद जायसी की जन्म स्थली जायस से तो मानो पानी रूठ ही गया है। पीने के पानी के लिए लंबी-लंबी कतारें अमेठी के विकास व जल स्त्रोतों के संरक्षण की कहानियां बयां करने वाली हैं। ऐसे में जब धूप ने इन जल स्त्रोतों से इनका हाल पूछा तो यह अपनों द्वारा दी गई दगा याद कर रो पड़े।
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अमेठी में भूजल स्तर की वर्तमान स्थिति
ब्लाक जलस्तर घटाव प्रति वर्ष
गौरीगंज 700 22
अमेठी 725 23
शाहगढ़ 884 28
जामो 850 27
भादर 900 30
संग्रामपुर 1022 32
भेटुआ 840 29
जगदीशपुर 954 31
शुकुलबाजार 1005 33
मुसाफिरखाना 965 30
बहादुरपुर 850 27
तिलोई 956 29
सिंहपुर 970 30
नोट-सभी आंकड़े सेंटीमीटर में
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लापरवाह हैं जिम्मेदार
दो साल पहले इन सभी ब्लाकों के 427 तालाबों में रिचार्ज पिट बनाने की योजना बनाई गई थी लेकिन बजट के अभाव में पूरी योजना फ्लाप हो गई। इसके चलते पानी का संचय तो नहीं हो सका लेकिन पिछले वर्ष हुई अच्छी बरसात के बाद विभाग ने फाइलों में सबकुछ दुरुस्त कर दिया लेकिन एक बार फिर जब मौसम ने इस वर्ष दगा दिया तो आंकड़ों की पोल खुल गई।
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जल स्त्रोतों को बचाने की हर संभव कोशिश की जा रही है। कुओं को तो लोग खुद ही पाट ले रहे हैं। तालाबों व झीलों के रखरखाव की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों को सौंपी गई है। साथ ही मुख्यमंत्री जल बचाओ अभियान को प्राथमिकता से लागू करने की योजना पर भी तेजी से काम हो रहा है।
जगतराज
जिलाधिकारी, अमेठी