धान की फसल पर ध्यान देने की आवश्यकता
अंबेडकरनगर : धान की अगेती प्रजातियो़ं में बालियां निकल रही हैं। वर्षा न होने से ¨सचाई की व
अंबेडकरनगर : धान की अगेती प्रजातियो़ं में बालियां निकल रही हैं। वर्षा न होने से ¨सचाई की वैकल्पिक व्यवस्था की आवश्यकता है। किसानों को धान की फसल पर ध्यान देने की आवश्यकता है। कृषि विज्ञान केंद्र पांती के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. रविप्रकाश मौर्य ने किसानों को उक्त बातें बताई। बताया कि धान की फसल में कुछ कीटों के प्रकोप होने की ज्यादा संभावना बनी रहती है। धान की फसल को दो प्रकार के फुदके भूरे एवं सफेद रंग के नुकसान पहुंचाते हैं। इनमें भूरा फुदका ज्यादा हानिकारक है। इनकी शिशु एवं प्रौढ़ दोनों पौधे के तनों से रस चूसकर फसल को हानि पहुंचाते हैं, क्योंकि यह कीड़े पौधों के तनों पर रहते हैं इसलिए पत्तों पर नजर नहीं आते। इनकी निगरानी न की जाए तो इसके प्रकोप का पता भी नहीं लगता है। इनकी रोकथाम के लिए उर्वरक की मात्रा संतुलित ही दें। खेतों को लगातार पानी से भर कर न रखें। दोबारा ¨सचाई तभी करें जब पानी सूखने लगे। मकड़िया तथा मिरिड वर्ग से इन कीड़ों की प्रभावी नियंत्रण होती है। इसलिए इन्हें कीटनाशियों के दुष्प्रभाव से बचाएं। प्रति हेक्टेयर के लिए 300 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड की आवश्यकता होती है। बालियां निकलते समय विशेष करके गंधी बग कीट का प्रकोप होता है। इसकी रोकथाम के लिए मैलाथियान 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें या डीडीवीपी 76 ईसी घोल का छिड़काव करें। बालियों के प्रारंभ में एक मीटर खेत के चारों तरफ मैलाथियान का प्रयाग कर दिया जाय तो गंधी के हानि से बचा जा सकता है।