पचास दिन में हुआ सिर्फ सात किसानों का भला
अंबेडकरनगर : मूल्य समर्थन योजना के तहत किसानों का धान खरीदने में विभाग असहाय बना हुआ है। नतीजतन खरी
अंबेडकरनगर : मूल्य समर्थन योजना के तहत किसानों का धान खरीदने में विभाग असहाय बना हुआ है। नतीजतन खरीद की स्थिति यह है कि 50 दिन में जिले में कुल 14.47 मीट्रिक टन धान की खरीद की जा सकी। महज सात किसान अपनी उपज क्रय केंद्र पर बेच सके।
जिले में धान खरीद योजना को लकवा मार गया है। किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य मिले, इसके लिए जिले में चार क्रय एजेंसियों खाद विभाग, पीसीएफ, यूपीएसएस व भारतीय खाद्य निगम को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इन एजेंसियों के जिले के विभिन्न अंचलों में 45 क्रय केंद्र स्थापित किए गए, लेकिन खरीद की स्थिति यह है कि अब तक मार्केटिंग व यूपीएसएस क्रय एजेंसी द्वारा ही कुल 14.47 मीट्रिक टन खरीद की गई है। शेष दो एजेंसियों पीसीएफ व भारतीय खाद्य निगम के क्रय केंद्र पर एक छटांक धान नहीं खरीदा जा सका। क्रय एजेंसियों पर किसान जब अपने धान का नमूना लेकर जाते हैं तो उन्हें मानक में कमी बताकर धान खरीदने से इन्कार कर दिया जाता है। नतीजतन क्रय एजेंसियों की मनमानी से किसान अपनी उपज बिचौलियों के हाथ एक हजार से 1100 रुपये प्रति क्विंटल बेचने को मजबूर हैं। जबकि योजना के तहत धान का मूल्य 1360 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित है। ऐसे में किसानों का 300 रुपये प्रति क्विंटल का घाटा उठाकर उपज बेचना पड़ रहा है। क्रय केंद्रों पर सिर्फ धान खरीद का बैनर टंगा देखा जा सकता है। वहां या तो ताला बंद रहता है या केंद्र खुला भी है तो प्रभारी नदारद रहते हैं। अकबरपुर विकास खंड के पीसीएफ क्रय केंद्र बरधाभीरा पर अभी तक धान खरीद का खाता नहीं खुल सका है। शुक्रवार को क्रय केंद्र खुला था, लेकिन केंद्र प्रभारी संजय पांडेय नदारद थे। कृषक रामचंदर वर्मा अपने धान का नमूना लेकर आए थे। कुछ देर तक इंतजार करने के बाद वे निराश होकर वापस लौट गए। साधन सहकारी समिति बेवाना पीसीएफ क्रय केंद्र पर भी अब तक एक छटांक धान नहीं खरीदा गया। भारतीय खाद्य निगम के नवीन मंडल स्थल सिझौली क्रय केंद्र पर भी केंद्र प्रभारी नदारद रहे। जिला खाद्य एवं विपणन अधिकारी रवींद्रनाथ यादव ने कहा कि हुदहुद तूफान के प्रकोप से धान की फसल को नुकसान पहुंचने से धान डैमेज हो गया है। जिससे वह मानक के अनुरूप नहीं है। धान मानक के अनुरूप होने पर ही खरीद संभव है। केंद्र बंद न रहें इसके लिए निरीक्षण किया जा रहा है। अपर जिला अधिकारी राममूर्ति मिश्र का कहना है कि वह धान क्रय केंद्रों का निरीक्षण करा रहे हैं। बंद पाए जाने वाले क्रय केंद्र प्रभारियों पर कार्रवाई की जा रही है।
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-केंद्र खोल मौज-मस्ती कर रहे खरीद प्रभारी
टांडा : तहसील क्षेत्र के 412 गांवों में स्थित लगभग 32 हजार हेक्टेयर भूमि में किसान धान की फसल लगाते हैं। गत दिनों आए हुदहुद तूफान से धान की फसलें क्षतिग्रस्त हुईं। इससे उपज में कमी आयी। तैयार फसल को बेचने के लिए किसान भटक रहे हैं। कारण क्रय केंद्रों पर मनमानी का आलम यह है कि केंद्र प्रभारी खरीद के बजाय मौज-मस्ती में तल्लीन हैं।
किसानों को उपज का लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए सरकार ने कामन धान के लिए 1360 व ग्रेड ए धान के लिए 1400 रुपये क्रय मूल्य निर्धारित किया। धान की सरकारी खरीद के लिए तहसील क्षेत्र के साधन सहकारी समिति औरंगाबाद, रसूलपुर मुबारकपुर, मखदूमनगर, बड़ागांव काजी, यूपीएसएस का जुगई, एफसीआइ का टांडा, आरएफसी का टांडा, बसखारी, पीसीएफ का बसहिया, बसखारी पश्चिमी, तुरसमपुर तिलकारपुर व अजमेरी बादशाहपुर में क्रय केंद्र बनाया गया है। क्रय केंद्र पर मात्र बैनर दिख रहे हैं। केंद्रों के प्रभारी मौज मस्ती कर रहे हैं। गत गुरुवार को अपराह्न तीन बजे एफसीआइ गोदाम में स्थित धान क्रय केंद्र पर सन्नाटा पसरा रहा। केंद्र प्रभारी नदारद रहे। धान खरीद कर रखे जाने वाले गोदाम में लकड़ियां रखी थीं। मंडी परिषद कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार 15 नवंबर तक एक छटांक धान खरीद नहीं हुई है। ब्राहिमपुर कुसुमा गांव के श्रीकांत वर्मा, धौरहरा के मधुवन वर्मा की मानें तो आढ़तिये एक हजार रुपये प्रति क्विंटल धान खरीद रहे हैं। एसडीएम नरेंद्र सिंह ने बताया कि टांडा विपणन शाखा में धान खरीद शुरू हो गई है। हाइब्रिड धान की सरकारी खरीद न होने के कारण केंद्रों पर किसान नहीं आ रहे हैं।