तबाही की ओर घाघरा, तटीय इलाकों में बिगड़े हालात
अंबेडकरनगर : घाघरा नदी का जलस्तर अभी भी खतरे के निशान 92.730 मीटर से ऊपर है। नदी तबा
अंबेडकरनगर : घाघरा नदी का जलस्तर अभी भी खतरे के निशान 92.730 मीटर से ऊपर है। नदी तबाही की ओर तेजी से बढ़ रही है। तटीय क्षेत्रों में हालात बिगड़ने लगे हैं। टांडा और आलापुर तहसील क्षेत्र में पानी कई गांवों में भर गया है। शनिवार को कई परिवार गांव छोड़कर सुरक्षित ठिकानों की तलाश में बाहर आते दिखे।
घाघरा में हर वर्ष आने वाली बाढ़ से जूझना नदी के दो जल धाराओं के बीच बसे माझा उलटहवा गांव के दिलशेर का पूरा के निवासियों की नियति बन गई है। इस बार भी यहां के बा¨शदे 10 दिनों से बाढ़ से जूझ रहे हैं। लेकिन इनकी सुधि लेने अभी तक कोई नहीं पहुंचा। बाढ़ से तहसील का माझा उलटहवा, माझा कला गांव सबसे प्रभावित गांव हैं। करीब पाच हजार की आबादी बाढ़ से प्रभावित है। माझा उलटहवा का एक पुरवा दिलशेर का पूरा है। गांव में तकरीबन पचास परिवार हैं। नदी के मध्य स्थित भूमि में कृषि और पशुपालन इनकी जीविका का साधन है। यह पुरवा नदी की बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित है।
---------------
-बाढ़ से बचाव व राहत को दौड़ा प्रशासन-
घाघरा/सरयू नदी में बाढ़ की विभीषिका को देख हरकत में आए जिला प्रशासन ने प्रभावित क्षेत्रों में दौड़ लगाना शुरू कर दिया है। जिलाधिकारी अखिलेश ¨सह ने टांडा और आलापुर तहसील क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लिया। प्राकृतिक आपदा से बचाव को पशुओं का टीकाकरण कराने तथा दवाओं का वितरण तेज कर दिया गया है। केरोसिन तथा खाद्यान्न वितरण भी तेज कर दिया गया है। आलापुर तहसील के बाढ़ प्रभावित गांव अंतूपुर, अराजी देवारा, घिनहापुर, मांझा कम्हरिया व सिद्धनाथपुर आदि गांवों में बाढ़ पीड़ितों से जिलाधिकारी ने बातचीत की। ग्रामीणों की मांग पर पांच नावें लगाने तथा केरोसिन, राशन आदि मुहैया कराने को कहा। इस दौरान एसडीएम, राजेसुल्तानपुर के थानाध्यक्ष विजय ¨सह व जेपी ¨सह आदि मौजूद रहे।
--------------
-घर में घुटने भर पानी, मचान पर गुजर रही रात-
टांडा : दिलशेर गांव के दीन मोहम्मद व किताबुद्दीन बताते हैं कि गांव का कोई ऐसा घर नहीं है जिसमें घुटने भर पानी न हो। घरों के बाहर कमर तक पानी भरा है। बच्चों को मचान पर रखते हैं। मचान पर बैठ कर बच्चे दिन रात काट रहे हैं। गांव के मोहम्मद याकूब, इम्तियाज, इसरार व जब्बार का कहना है कि अभी तक गाव में कोई सुधि लेने नहीं पहुंचा है।
-बाढ़ चौकी वाले स्कूल में हो रही पढ़ाई-
टांडा : बाढ़ पीड़ितों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए प्राथमिक एवं जूनियर स्तर के नौ विद्यालयों को बाढ़ चौकी के रूप में चिन्हित किया गया है। बाढ़ चौकियों में शनिवार को कक्षाएं चलती दिखाई दीं। यहां तैनात कर्मचारी नहीं दिखे। घाघरा नदी की बाढ़ से प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए औसानपुर, चिन्तौरा, डुहिया, फूलपुर, केदारनगर, महरीपुर जूनियर हाईस्कूल महरीपुर, जूनियर हाई स्कूल विहरोपुर को बाढ़ चौकी बनाया गया है। शनिवार को प्रापा डुहिया में कक्षाएं चलती हुई दिखीं। यही हाल बाढ़ चौकी ¨चतौरा का भी रहा। तहसीलदार प्रभाकर त्रिपाठी ने बताया कि विस्थापन की स्थिति नहीं होने के कारण बाढ़ चौकी सक्रिय नहीं की गई हैं।
--------
-कटान रोकने के प्रबंध नाकाफी-
मुबारकपुर : घाघरा नदी का जलस्तर बढ़ने के साथ ही मुबारकपुर पश्चिमी प्राथमिक पाठशाला के उत्तर नदी के छोर पर लगाए गए पत्थर के ठोकर से ऊपर नदी का पानी आ जाने से पास पड़ोस के लोगों की बेचैनी बढ़ गई है। पानी का बहाव इतनी तेज है कि वशिष्ठ नारायण मिश्र के मकान की दीवार से पूरब तरफ बंगाली महाराज के मकान के बीच में जगह-जगह कटान की संभावनाएं बढ़ गई हैं। कुछ हिस्से में आबादी की भूमि भी कट चुकी है। चंदन व रूपनंद का कहना है कि प्रत्येक वर्ष बाढ़ आती है और प्रशासन से नदी के छोर पर पत्थर के ठोकर लगाने की मांग की जाती है लेकिन प्रशासन द्वारा कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई। कृष्ण चंद्र मांझी का कहना है कि लगभग एक दशक से •यादा समय हो गया जब आबादी को सुरक्षित करने के लिए पत्थर की ठोकर लगाई गई थी। उसके बाद से आजतक आबादी की तरफ प्रशासन ने मुड़ कर नहीं देखा। चंदी प्रसाद व ईश्वर चंद्र का कहना है कि इस वर्ष की बाढ़ में इतनी तीव्रता है कि आबादी की भूमि कट रही है। कहा कि लोगों को रात जाग कर गुजारना पड़ रहा है। स्थानीय अद्याप्रसाद दूबे, पंडित राम लखन व मनोज दूबे ने प्रशासन से गुहार लगाई है कि शीघ्र ही पहले से बनाई गई ठोकरों को ऊंचा कराएं ताकि नदी के छोर पर बसने वाली आबादी को सुरक्षित किया जा सके।