शिव की उपासना मात्र से मनुष्य का हो जाता कल्याण
अंबेडकरनगर : शिव का शाब्दिक अर्थ ही कल्याण होता है, भगवान शिव की उपासना मात्र से मनुष्य का कल्याण हो
अंबेडकरनगर : शिव का शाब्दिक अर्थ ही कल्याण होता है, भगवान शिव की उपासना मात्र से मनुष्य का कल्याण हो जाता है। भगवान शंकर ने गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करने से पूर्व बैल की सवारी की। शास्त्रों में बैल को धर्म का स्वरूप माना गया है। उक्त विचार श्रीराम कथा वाचिका प्रीति उपाध्याय ने टांडा नगर के हयातगंज पुलिस चौकी पर चल रही श्रीराम कथा के तृतीय दिवस की कथा का वर्णन करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि भगवान शंकर की तरह सभी गृहस्थ को धर्म के पीछे चलना चाहिए, जिससे पाप से बचा जा सके। उन्होंने सभी को बताया कि धर्म के मार्ग पर चलने से ही मानव जीवन में खुशहाली आ सकती है। भगवान शिव और पार्वती की शादी बड़े ही भव्य तरीके से आयोजित हुई। पार्वती की तरफ से कई सारे उच्च कुलों के राजा-महाराजा और शाही रिश्तेदार इस शादी में शामिल हुए, लेकिन शिव की ओर से कोई रिश्तेदार नहीं था, क्योंकि वे किसी भी परिवार से ताल्लुक नहीं रखते। भगवान शिव की शादी में हर तरह के प्राणी आए जब शिव और पार्वती का विवाह होने वाला था, तो एक बड़ी सुंदर घटना हुई। उनकी शादी बहुत ही भव्य पैमाने पर हो रही थी। इससे पहले ऐसी शादी कभी नहीं हुई थी। सभी देवता तो वहां मौजूद थे ही, साथ ही असुर भी वहां पहुंचे। आमतौर पर जहां देवता जाते थे, वहां असुर जाने से मना कर देते थे और जहां असुर जाते थे, वहां देवता नहीं जाते थे। कथा के दौरान दिलीप मोदनवाल, राम बल्लभ मोदी, भूपेंद्र मल्होत्रा, राधेरमण अग्रवाल आदि मौजूद रहे।