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पौने तीन करोड़ में उजियारे की मुहिम

अंबेडकरनगर : बिजली की किल्लत को देखते हुए गांवों में प्रकाश की व्यवस्था दुरुस्त करने को सोलर लाइटों

By Edited By: Published: Fri, 27 May 2016 09:10 PM (IST)Updated: Fri, 27 May 2016 09:10 PM (IST)
पौने तीन करोड़ में उजियारे की मुहिम

अंबेडकरनगर : बिजली की किल्लत को देखते हुए गांवों में प्रकाश की व्यवस्था दुरुस्त करने को सोलर लाइटों का इंतजाम बेहद कारगर साबित हो रहा है। सरकार की ओर से इसकी पहल लोहिया समग्र ग्राम विकास योजना के तहत वृहद स्तर पर लोहिया गांवों को रोशन किए जाने के लिए किया गया है। जबकि विधायकों व सांसदों ने भी सोलर लाइट लगाए जाने के लिए जमकर बजट खर्च किया। पिछले चार साल के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो जनपद के करीब 1300 स्थानों पर सोलर लाइट लगाए जाने के लिए पौने तीन करोड़ रुपये खर्च किए गए। हालांकि लाइटों की गुणवत्ता को लेकर सवालिया निशान लगा हुआ है। वजह चंद दिनों तक दूधिया रोशनी बिखेरने वाली सोलर लाइटें कभी तकनीकी खराबी से बंद हो रही हैं तो वहीं दोयम दर्ज की बैट्री भी दगा देने लगी है।

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जरूरत के मुताबिक बिजली की आपूर्ति करने में नाकाम शासन के लिए सोलर लाइट वरदान साबित हो रही है। इसके जरिए गांवों को रोशन करने पर सरकार की काफी बजट खर्च कर रही है। पहले साल में महज 77 सोलर लाइटें लगाए जाने पर शासन ने 15 लाख 24 हजार 600 रुपये खर्च किए। हालांकि तत्समय प्रत्येक लाइट की कीमत कार्यदायी संस्था नेडा ने 19 हजार 800 रुपये तय की। सोलर लाइटों की सफलता तय होने पर शासन ने इसे लगाए जाने के लिए अगले साल बजट में इजाफा किया। लिहाजा वित्तीय वर्ष 2013-14 में चयनित लोहिया गावों में 250 सोलर लाइटों को लगाए जाने के लिए 20 हजार 900 रुपये की दर से 52 लाख 25 हजार रुपये खर्च किए। जबकि वित्तीय वर्ष 2014-15 में सोलर लाइटों के दाम में कमी दर्ज हुई और शासन ने इसके लक्ष्य में बढ़ोत्तरी की। ऐसे में 20 हजार 850 रुपये की दर से इस साल लोहिया गावों में 291 सोलर लाइटें लगाने पर 60 लाख 67 हजार 360 रुपये खर्च हुए। जबकि वित्तीय वर्ष 2015-16 में सोलर लाइटों के दाम में उछाल आया, प्रति लाइट की कीमत 23 हजार रुपये तक पहुंच गई। ऐसे में उक्त वर्ष चयनित हुए लोहिया गांवों में 277 सोलर लाइट लगाने के लिए शासन ने 64 लाख 67 हजार 900 रुपये खर्च किया। इसके अलावा जनपद की अकबरपुर, जलालपुर, टांडा तथा कटेहरी विधानसभा में भी सोलर लाइट लगाए जाने के लिए विधायकों ने भी अपनी निधि का जमकर इस्तेमाल किया। अकबरपुर में विधायक राममूर्ति वर्मा ने एक सोलर लाइट लगाए जाने के लिए दो लाख 23 हजार रुपये खर्च किए। जबकि जलालपुर के विधायक शेर बहादुर ¨सह ने 31 सोलर लाइट लगाए जाने के लिए छह लाख 51 हजार रुपये व्यय किया। टांडा विधायक अजीमुलहक पहलवान ने 46 सोलर लाइटों पर 15 लाख 82 हजार 400 रुपये तथा कटेहरी विधायक शंखलाल मांझी ने 11 सोलर लाइट लगाए जाने के लिए तीन लाख 44 हजार रुपये बजट खर्च किया है। आलापुर विधायक भीम प्रसाद सोनकर ने 19 स्थानों पर सोलर लाइट लगाए जाने के लिए 16 लाख 92 हजार रुपये खर्च किए। जबकि चार साल पहले निर्वतमान सांसद भीष्मशंकर उर्फ कुशल तिवारी ने 237 सोलर लाइटों को लगाए जाने के लिए 38 लाख 60 हजार रुपया खर्च किया। इसके अलावा ग्राम पंचायत निधि तथा नगरपालिका व नगरपंचायतों की ओर से भी सोलर लाइट लगवाया गया है।

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-चंद दिनों की चांदनी फिर अंधेरी रात-

अंबेडकरनगर : शासन की मंशा के अनुसार गांवों को रोशन करने बढ़ीं सोलर लाइटों की गुणवत्ता के साथ जमकर खिलवाड़ किया जा रहा है। उच्च क्षमता का वादा कर लगने वाली लाइटें चंद दिनों तक गांवों को दूधिया रोशनी में नहलाने के बाद मंद पड़ने लगी हैं। वहीं सोलर लाइट लगाए जाने के नाम पर बंदरबांट का खेल भी छिपा नहीं है। ऊंची कीमत पर घटिया लाइट लगाए जाने में नकली पुर्जों का खूब इस्तेमाल किया गया है। हालांकि देखरेख की जिम्मेदारी कार्यदायी संस्थाओं के हवाले होने से गड़बड़झाले पर अभी पर्दा पड़ा है। कमीशनखोरी के चक्कर में माननीयों की ओर से अमुक संस्था को चुना जाना गत वर्ष चर्चा का विषय रहा। हालांकि बाद में प्रशासन का शिकंजा कसते ही दोनों कार्यदायी संस्थाओं ने एक समान दर पर लाइटें लगाए जाने की कवायद शुरू की है। सोलर लाइट की बैट्री तथा इसके पैनल की गुणवत्ता अभी भी सवालों के घेरे में है। वजह आए दिन सोलर लाइट खराब हो रही है। नेडा के आंकड़ों के मुताबिक गत दिनों तक जनपद स्तर पर करीब 15 सोलर लाइटें खराब रहीं। हालांकि इसकी शिकायत मिलने पर त्वरित गति से दुरुस्त कराया गया है। अभी भी करीब पांच लाइटों की मरम्मत होनी है। जबकि दूसरी कार्यदायी संस्था लघु उद्योग का जनपद स्तर पर कार्यालय ही नहीं है। ऐसे में मरम्मत को लेकर शिकायत दर्ज कराने के लिए स्थान ही नहीं है।

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सोलर लाइटें कार्यदायी संस्थाओं के माध्यम से लगाई गई हैं। ऐसे में रख-रखाव तथा मरम्मत की जिम्मेदारी लिखित तौर पर कार्यदायी संस्था की बनती है। सोलर लाइटों के खराब होने की जानकारी मिलने पर संबंधित कार्यदायी संस्था को निर्देशित किया जाता है। सप्ताहभर की तय अवधि में मरम्मत नहीं होने पर कार्रवाई शुरू की जाती है। हालांकि अभी तक खराब हुई लाइटों में तकनीकी खराबी का मामला सामने आया है। इसे दूर कराया जा रहा है। अराजकत्तवों द्वारा बैट्री आदि चोरी करने से भी सोलर लाइटें बंद हैं।

उमाकांत त्रिपाठी

पीडी, डीआरडीए

अंबेडकरनगर


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