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पत्तियों में छिपा पौधों की सेहत का राज

अंबेडकरनगर : मानव शरीर की भांति ही पौधों की सेहत की आसानी से पड़ताल की जा सकती है। पौधों की नब्ज उनक

By Edited By: Published: Wed, 18 May 2016 10:55 PM (IST)Updated: Wed, 18 May 2016 10:55 PM (IST)

अंबेडकरनगर : मानव शरीर की भांति ही पौधों की सेहत की आसानी से पड़ताल की जा सकती है। पौधों की नब्ज उनकी पत्तियों में छिपी है। लिहाजा पौधों के बीमार होते ही पत्तियां रंग बदलने लगी हैं। इसके जरिए किसानों को पौधों के बीमार होने का पता चल जाता है। हालांकि पौधे में पोषक तत्वों की कमी को लेकर पत्तियां, तने, फूल व कलियां विभिन्न प्रकार के रंग बदलने के साथ ही प्रतिक्रियाएं देती हैं। ऐसे में पौधों के बेहतर विकास के लिए 12 पोषक तत्वों की खास जरूरत होती है। लिहाजा कृषि विभाग किसानों को पोषक तत्वों के साथ ही इनकी कमी से होने वाले प्रभाव व पहचान से परिचित कराता है। जिला कृषि अधिकारी सुभाष कुमार बताते हैं कि पोषक तत्वों के संतुलित रहने से उत्पादन क्षमता में इजाफा होने के साथ ही भूमि का उपजाऊपन बना रहता है। लिहाजा निम्न पोषक तत्वों की कमी के कारण ऐसी प्रतिक्रिया को पहचान कर किसान समय से इसका उपचार कर सकते हैं।

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बोरान : पौधे के वर्धनशील भाग के पास क पत्तियां बोरान की कमी के पीली पड़ने लगती हैं। पौधे की कलियां सफेद या हल्के भूरे मृत ऊतकों की तरह दिखाई देती हैं।

गंधक : पौधों में गंधक क कमी क चलते पत्तियां शिराओं सहित गहरे हरे रंग से पीले रंग में बदल जाती हैं। गंधक की कमी से सबसे पहले नई पत्तियां प्रभावित होती हैं।

मैगनीज : पौधों में मैगनीज की कमी होने पर पत्तियों का रंग पीला-धूसर या फिर लाल-धूसर हो जाता है। हालांकि शिराएं हरी ही रह जाती हैं। पत्तियों का किनारा और शिराओं का मध्य भाग हरीतिमाहीन हो जाती है। ऐसे में वह अपने सामान्य आकार म ं ही रहती हैं।

जस्ता : सामान्य तौर पर पत्तियों के शिराओं के मध्य हरीतिमाहीन के लक्षण दिखाई देते हैं। पौधों में जस्ता की कमी के चलते पत्तियों का रंग कांसा की तरह हो जाता है।

मैग्नीशियम : पत्तियों के अग्रभाग का रंग गहरा हरा होकर शिराओं का मध्य भाग सुनहरा पीला होने लगे तो पौधे में मैग्नीशियम की कमी मानी जाती है। इस पोषक तत्व की कमी से पत्तियों के अंत में किनारे से अंदर की ओर लाल व बैगनी रंग के धब्बे बन जाते हैं।

फास्फोरस : पौधों की पत्तियां फास्फोरस की कमी क कारण छोटी रह जाती हैं। इसके साथ ही पौधों का रंग गुलाबी होकर गहरा हरा हो जाता है।

कैल्शियम : पौधों में कैल्शियम की कमी होने के चलते प्राथमिक पत्तियां देर से निकलती हैं। शीर्ष की कलियां खराब होने के अलावा मक्के की नोक चिपक जाती है।

लोहा : नई पत्तियों में तने के उपरी भाग पर पहले हरीतिमाहीन के लक्षण दिखाई देने पर पौधे में लोहे की कमी स्वीकार की जाती है। शिराओं को छोड़कर पत्तियों का रंग एक साथ पीला हो जाता है। उक्त पोषक तत्व की कमी होने पर भूरे रंग का धब्बा या मृत ऊतक के लक्षण प्रगट होते हैं।

तांबा : पौधों में तांबे की कमी होने पर नई पत्तियां एक साथ गहरी पीले रंग की हो जाती हैं। इसके साथ ही पत्तियां पौधों से गिरने लगती हैं। खाद्यान्न वाली फसलों में गुच्छों में वृद्धि होती तथा शीर्ष में दाने नहीं होते।

मॉलिब्डनेम : उक्त पोषक तत्व की कमी होने पर पौधों की नई पत्तियां सूख जाती हैं। पत्तियां हल्के हरे रंग की होने लगती हैं। मध्य शिराओं को छोड़कर पूरी पततियों पर सूखे धब्बे दिखाई देने लगते हैं।

पोटैशियम : पौधों में पोटैशियम की कमी होते ही पुरानी पत्तियों का रंग पीला या भूरा हो जाता है। इसके साथ ही पत्तियों के बाहरी किनारे फट जाते हैं। मोटे अनाज में मक्का एवं ज्वार में यह लक्षण पत्तियों के अग्रभाग से प्रारंभ होता है।

नाइट्रोजन : पोषक तत्वों में सबसे अहम नाइट्रोजन की कमी के कारण पौधे हल्के हरे या पीले रंग के होकर बौने ही रह जाते हैं। पुरानी पत्तियां पहले ही पीली होने लगती हैं। मोटे अनाज की फसलों में पत्तियों का पीलापन अग्रभाग से शुरू होकर मध्य शिराओं तक फैल जाता है।


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