शासन को भेजी जा रही फर्जी रिपोर्ट
अंबेडकरनगर : बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से परिषदीय विद्यालयों में शौचालय की सुविधा शतप्रतिशत होने का द
अंबेडकरनगर : बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से परिषदीय विद्यालयों में शौचालय की सुविधा शतप्रतिशत होने का दावा किया जा रहा है। खास बात है कि इनके क्रियाशील होने तथा छात्रों को इसका समुचित लाभ मिलने का भी दम अभिलेखीय आंकड़ों में किया जा रहा है। जबकि धरातल पर हकीकत इससे काफी इतर है। नवनिर्मित शौचालय भी बदहाली से जूझ रहे हैं। मानक के विपरीत होने वाले निर्माण के कारण शौचालय छात्रों की पहुंच से दूर हो चुके हैं। वहीं विभाग महज 160 शौचालयों के अक्रियाशील मानने को तैयार है। ऐसे हालात में शासन को गुमराह करते हुए फर्जी सूचना भेजी जा रही है। इसमें परिषदीय स्कूलों को शतप्रतिशत क्रियाशील शौचालयों से आच्छादित होने की रिपोर्ट दी जा रही है। जबकि वास्तविक दशा जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीणांचल तक के स्कूलों में शौचालय की सुविधा ध्वस्त पड़ी है।
गौरतलब है कि भारत सरकार की मंशा के अनुसार सर्वशिक्षा अभियान के तहत परिषदीय स्कूलों में स्वच्छता को परवान चढ़ाया जाना है। लिहाजा प्रत्येक विद्यालय में छात्र तथा छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय की सुविधा किए जाने का दावा किया जाता है। जनपद में संचालित करीब 13 सौ प्राथमिक तथा 520 उच्च प्राथमिक विद्यालयों को शौचालय की सुविधा से लैस होने दावा अभिलेखों में देखने को मिल रहा है। इससे इतर धरातल पर शौचालयों की ओर गौर किया जाए तो निर्माण गुणवत्ता की बड़ी खामी उजागर होती है। शौचालय की शीट से लेकर दीवारें और दरवाजे नष्ट हो चुके हैं। सेफ्टी टैंक का निर्माण भी मानक के विपरीत कराया गया। नतीजा रहा है कि यह भी चंद दिनों में ही जमीदोज हो चुके हैं। शौचालय में पानी का इंतजाम नहीं किए जाने से यह निष्प्रोज्य साबित हो रहे हैं। आलम है कि गंदगी और जंगली झाड़ियों में घिरे इन शौचालयों का छात्र इस्तेमाल करने के बजाए खुले में जाना मुनाबिस और सुरक्षित महसूस करते हैं। अकबरपुर शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय लालापुर की ओर गौर किया जाए तो यहां भी छात्र तथा छात्राओं के लिए अलग व्यवस्था दी गई है। हालांकि मौके पर बदहाल हो चुके शौचालय तक पहुंचना ही मुश्किल है। बीच में जानलेवा कुआं छात्रों के लिए घातक साबित हो सकता है, तो शौचालय में पसरी गंदगी के बीच इसमें प्रवेश करना संक्रामक बीमारियों को बुलावा देना होगा। इसके अलावा एक अन्य शौचालय की दशा महज खंडहर ही साबित हो रही है। उच्च प्राथमिक विद्यालय हाजीपुर मरुई में बदहाल पड़े शौचालय के आसपास जलभराव की समस्या रहती है। यही नहीं स्कूल से अलग बने इस शौचालय में दरवाजा तक नहीं हैं। प्राथमिक विद्यालय घाघूपुर में झाड़ियों के बीच बने शौचालय में दरवाजा गायब और पानी का कोई इंतजाम नहीं हुआ है। यह हालात तो जिला मुख्यालय से सटे हुए परिषदीय विद्यालयों का है। जबकि ग्रामीणांचल में बेसिक शिक्षा विभाग के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। इस बाबत अकबरपुर के खंड शिक्षा अधिकारी बड़कऊ वर्मा का कहना है कि शौचालयों को खुला रखने के साथ ही नियमित साफ सफाई का निर्देश दिया गया है। जर्जर शौचालयों की मरम्मत करते हुए इसे उपयोग लायक बनाया जाएगा। निर्माण खामियों की भी जांच कराते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए उच्चाधिकारियों को आख्या दी जाएगी।