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सरकार बेकरार, दूधियों का ंइनकार

अंबेडकरनगर : सरकार स्कूली छात्रों को दूध पिलाकर सेहत सुधारने को बेकरार है। वहीं दूधियों का इनकार इस

By Edited By: Published: Wed, 15 Jul 2015 10:12 PM (IST)Updated: Wed, 15 Jul 2015 10:12 PM (IST)
सरकार बेकरार, दूधियों का ंइनकार

अंबेडकरनगर : सरकार स्कूली छात्रों को दूध पिलाकर सेहत सुधारने को बेकरार है। वहीं दूधियों का इनकार इस पर भारी पड़ रहा। ऐसे में नए मेन्यू के अनुसार व्यवस्था लागू करने की कवायद पहले ही दिन औंधेमुंह गिर गई। प्रत्येक बुधवार को कक्षा एक से आठ तक बच्चों को एमडीएम में दूध दिए जाने की व्यवस्था बुधवार से प्रभावी होनी थी। जिले में 1995 परिषदीय, सहायता प्राप्त जूनियर हाइस्कूल व इंटरमीडिएट कॉलेज हैं।

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ग्रामीण क्षेत्रों में भी ढूंढ़े नहीं मिला दूध

भीटी संवादसूत्र के मुताबिक शिक्षा क्षेत्र में 156 परिषदीय, सात सहायता प्राप्त जूनियर हाइस्कूल व पांच इंटर कॉलेज सहित 168 विद्यालयों में दूध बंटना था। इसके सापेक्ष महज 62 विद्यालयों में ही दूध वितरित किया जा सका। जबकि 106 विद्यालय के छात्र दूध पाने से वंचित रह गए। सहायता प्राप्त सात व पांच इंटर कॉलेजों में शासन की उक्त योजना पर पहल ही नहीं की गई। खंड शिक्षा अधिकारी केपी ¨सह ने बताया कि योजना की क्रियान्वयन के प्रति लापरवाह विद्यालयों को चेतावनी दी गई है।

कटेहरी संवादसूत्र के मुताबिक विकास खंड मुख्यालय की ग्राम सभा प्रतापपुर चमुर्खा के प्राथमिक विद्यालय प्रथम, द्वितीय, पूर्व माध्यमिक विद्यालय सेमरा, सेमराघाट, जरुखा, आदि में बच्चों को दूध नहीं दिया गया। नाम न छापने की शर्त पर कई शिक्षकों ने बताया कि सप्ताह में एक दिन दूध की व्यवस्था कर पानी कठिन है। एनपीआरसी घनश्याम वर्मा ने बताया कि कई प्राथमिक विद्यालयों पर दूध दिया गया है, लेकिन अभी तक अधिकारिक आंकड़े नहीं मिल पाए हैं।

जलालपुर संवादसूत्र के मुताबिक प्राथमिक विद्यालय कन्नूपुर में खीर बनी थी। वाजिदपुर में दूध नहीं बल्कि कढ़ी चावल, फरीदपुर में तो अब तक केवल तीन दिन ही एमडीएम बन पाया है। जलालपुर प्रथम विद्यालय में जहां दूध नहीं वितरित हुआ, बल्कि खीर बनी थी। उसमें भी कुल 126 के स्थान पर 103 बच्चे उपस्थित रहे। जबकि खीर 126 की बनायी गई। खंड शिक्षा अधिकारी अरुण कुमार यादव ने रिपोर्ट तैयार न होने की बात कहीं। एसडीएम ने दर्जन भर से अधिक विद्यालयों की जांच कर रिपोर्ट विभाग को सौंपी।

आलापुर संवादसूत्र के मुताबिक प्राथमिक विद्यालय न्यौरी, अमोला बुजुर्ग, बिड़हर खास, सरावां आदि में दूध नहीं दिया गया और न ही कोई अधिकारी जांच करने वाला ही रहा। कुल 121 प्राथमिक व 45 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में इसका पालन नहीं किया गया। जहांगीरगंज शिक्षा क्षेत्र में 131 प्राथमिक व 54 उच्च प्राथमिक विद्यालयों में दूध योजना की हकीकत जानने खंड शिक्षा अधिकारी शैलेंद्र त्रिपाठी निकले। अधिकांश विद्यालयों में दूध न दिए जाने की जानकारी मिली। खंड शिक्षा अधिकारी ने बताया कि एमडीएम में बच्चों को दूध दिए जाने की शासन की फरमान को प्रधानाध्यापिका को बता दिया गया है।

किछौछा संवादसूत्र के मुताबिक बीआरसी से सटे प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को दूध नसीब हीं हुई। बसखारी शिक्षा क्षेत्र के 160 प्राथमिक विद्यालयों के साथ उच्च प्राथमिक विद्यालयों में दूध बच्चों को पिलाने का प्रबंध करना था, परंतु प्राथमिक विद्यालय अजमेरी बादशाहपुर, अरुसा आजम को छोड़ कहीं ही दूध का वितरण नहीं हो सका।

-डेयरी का दूध विकल्प : दूध की अनुपलब्धता के चलते शासन की इस व्यवस्था से पहले ही दिन शिक्षक तौबा करने लगे। घर-घर दूध तलाशने के बावजूद निराशा हाथ लगी। अधिकारियों, शिक्षकों के मुताबिक शासन यदि इस योजना का सही ढंग से क्रियांवयन चाहता है तो डेयरी के माध्यम से पाउच में वह दूध खुद उपलब्ध कराए। तभी योजना परवान चढ़ सकती है।

सहायता प्राप्त विद्यालयों में मनमानी : जिले के 143 सहायता प्राप्त व इंटर कॉलेजों में योजना के प्रति दिलचस्पी ही नहीं दिखी। पूर्व मेन्यू के अनुरूप एमडीएम बनवाकर इतिश्री कर ली। संबंधित खंड शिक्षा अधिकारियों द्वारा कार्रवाई की चेतावनी देते हुए अधिकारियों के माध्यम से शासन को रिपोर्ट दी गई है।


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