बगैर प्रोत्साहन कमा रहे दोहरा लाभ
अंबेडकरनगर : खेती के साथ बागवानी करने से जहां दोहरी कमाई होती है। वहीं वायुमंडल भी शुद्ध होता है जिल
अंबेडकरनगर : खेती के साथ बागवानी करने से जहां दोहरी कमाई होती है। वहीं वायुमंडल भी शुद्ध होता है जिले में ऐसे कई किसान हैं, जो बिना किसी प्रोत्साहन के अपने खेतों में खेती तो कर रहे हैं, साथ ही बागवानी से नगदी कमा रहे हैं। अकबरपुर नगर के मीरानपुर निवासी शशिकांत श्रीवास्तव खेती व बागवानी से अपने परिवार का अच्छे ढंग से जीविकोपार्जन कर रहे हैं।
नगर पालिका क्षेत्र के मिर्जापुर कोड़रा में उनकी करीब 35 बीघा भूमि है। हाइस्कूल तक शिक्षा प्राप्त शशिकांत को शुरू से ही खेती व बागवानी में विशेष रुचि थी। लगभग 32 वर्ष पूर्व उन्होंने साढ़े तीन बीघा में कलमी आम का पौधरोपण कराया। तब से उस खेत में उर्द, गेहूं, सरसों, मटर, चना व अरहर की खेती समय-समय पर करते चले आ रहे हैं। शशिकांत का कहना है कि इस बागवानी व खेती के लिए उन्हें कोई प्रशिक्षण या सरकारी प्रोत्साहन नहीं मिला है। वह निजी तौर पर इसे अपनी आजीविका का स्त्रोत बनाए हैं और प्रतिवर्ष फसल उत्पादन के साथ बागवानी से नगदी भी कमा रहे हैं। इनके परिवार में 16 सदस्य हैं। जिनका भरण पोषण वह इसी बागवानी व खेती से करते चले आ रहे हैं। इनके बड़े भाई डॉ. उमाकांत श्रीवास्तव भी सरकारी सेवा से रिटायर्ड होने के बाद बागवानी व खेती में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। इनके भतीजे संजय श्रीवास्तव भी सरकारी सेवा में हैं, लेकिन ड्यूटी के बाद वह भी शेष समय का सदुपयोग इसी खेती व बागवानी में करते हैं। शशिकांत के पुत्र राहुल श्रीवास्तव शिक्षक हैं। वह भी बचत समय में इसमें हाथ बंटाते हैं। बागवानी खेती की ¨सचाई के लिए वह खेत में ही निजी नलकूप लगा रखे हैं, जिसकी देखभाल के लिए मिर्जापुर कोड़रा निवासी निन्हकू चौधरी को बतौर मजदूर जिम्मेदारी सौंपे हुए हैं। शशिकांत कहते हैं कि खेती के साथ बागवानी से अच्छी आमदनी होती है। वह शेष खेत में भी खेती के साथ बागवानी करने की जुगत कर रहे हैं।
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पूर्व में मिला था अनुदान-अंबेडकरनगर : उद्यान निरीक्षक महेंद्र ¨सह का कहना है कि बागवानी के लिए योजनाएं इस वर्ष तो नहीं संचालित हैं, लेकिन पूर्व वर्षों में बागवानी के लिए कई किसान को अनुदान दिए जा चुके हैं, जो आज बागवानी के साथ फसल का भी उत्पादन कर आमदनी कर रहे हैं।