जज नहीं तो कामयाब किसान बन गए
अंबेडकरनगर देवनारायण पांडेय जिले में उन्नतिशील, प्रगतिशील किसान का पर्याय बन गए हैं। पीसीएस (जे.)
अंबेडकरनगर
देवनारायण पांडेय जिले में उन्नतिशील, प्रगतिशील किसान का पर्याय बन गए हैं। पीसीएस (जे.) के साक्षात्कार में छह बार असफलता और पारिवारिक मुसीबत इनके लिए मजबूती का वाहक बन गई। गांव में स्थित ढाई हेक्टेयर खेत में केला, टमाटर, शिमला मिर्च, लौकी, बंद गोभी, हरा मिर्च, आलू, कद्दू, गेंदा के फूल की तकनीकी खेती में जुटे हैं। इनसे प्रतिवर्ष करीब 20 लाख रुपये की आमदनी इन्हें हो रही है। इसके लिए दो बार पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण ¨सह पुरस्कार भी जिलाधिकारी द्वारा प्रदान किया जा चुका है।
भीटी तहसील क्षेत्र के गांव ¨पगरियावां निवासी देवनारायण पांडेय स्नातक, एलएलबी हैं। इलाहाबाद रहकर दस वर्षों तक पीसीएम (जे.) की तैयारी किए। किस्मत ने साथ नहीं दिया और छह बार अंतिम पायदान पर असफल हो गए। इनके पिता रामयज्ञ पांडेय किसान थे। वर्ष 2007 में उनके निधन के बाद वह घर आ गए और टमाटर की खेती से नकदी फसल उत्पादन की शुरुआत की। इसके बाद पीछे मुड़कर कभी नहीं देखे। बाराबंकी जनपद, महाराष्ट्र के माले गांव से केला का पौध आयात किया। इसे खेत में सहफसली के रूप में आलू, बंद गोभी भी उगाया। इसके बाद कुमारगंज कृषि विश्वविद्यालय, उद्यान विभाग व कृषि विभाग के वैज्ञानिकों से तकनीकी ज्ञान प्राप्त कर खेती को विस्तार दिया। इनकी मेहनत लगन, कृषि उत्पादन देख दर्जनों किसान प्रेरित होकर इनके नक्शे कदम पर चल रहे हैं।
-जागरूकता से कामयाबी
-भीटी : फसलों के अच्छे उत्पादन का राज तकनीक विधि से खेती करना, वैज्ञानिकों से निरंतर संवाद करना, विश्वसनीय कंपनियों के बीज खरीदना, फसलों की अच्छे ढंग से देखभाल करना, समय-समय पर ¨सचाई, गुड़ाई, दवाओं का छिड़काव करना है।
कोलकाता व महाराष्ट्र की मदद
-भीटी : टमाटर, शिमला मिर्च, लौकी, कद्दू, हरा मिर्च, बंद गोभी, गेंद, केला की नर्सरी खुद तैयार करते हैं। गेंदा के फूल का बीज कोलकाता, केले की पौध महाराष्ट्र के माले गांव, टमाटर, लौकी, कद्दू, मिर्च का बीज फैजाबाद जिले के कुमारगंज स्थित कृषि विश्वविद्यालय से आयात करते हैं।